इस वर्ष कितने दिनों तक रहेगा खरमास, इस दौरान क्या करें और क्या न करें. पढ़ें पूरी खबर, आचार्य धर्मेंद्र नाथ से जाने पौष मास अर्थात खरमास का माहात्म्य

रिपोर्ट: राजीव कुमार मिश्रा|करजाईन

मार्गशीर्ष मास के बाद लगता है खरमास। जानकारी देते हुए सुपौल जिले के करजाईन निवासी आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि प्रत्येक वर्ष इस दौरान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते है, तब खरमास या पौष मास की शुरुआत होती है। एक मास तक सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने के बाद सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास की समाप्ति होती है। इस समय पूजा-पाठ के लिए तो शुभ ही माना जाता है, किंतु शुभ और मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, उपनयन, विवाह, देव प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, गृहारंभ, वाहन खरीदने की जो मुहूर्त है वह सारे कार्य वर्जित रहते हैं। इस वर्ष खरमास की शुरुआत 17 दिसंबर 2023 से आरंभ होकर 15 जनवरी 2024 को विश्राम हो जाएगा।

आचार्य धर्मेंद्र नाथ

शास्त्रों के अनुसार सूर्य प्रत्येक राशि में एक मास तक रहते हैं। जब सूर्य धनु राशि में आते हैं तब खरमास लगता है। धनु देवगुरु बृहस्पति की राशि है। सूर्यदेव जब भी देव गुरु बृहस्पति की राशि पर भ्रमण करते हैं तब मनुष्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में उनका सूर्य कमजोर हो जाता है और उन्हें मलिन माना जाता है। हिंदू सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक ग्रह माना गया है। सूर्य की कमजोर स्थिति के कारण ही शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। खरमास में यदि कोई भी शुभ कार्य शुरू करते हैं तो अनेक प्रकार के आर्थिक संकट के साथ-साथ मानसिक संकट से भी गुजरना पड़ता है। इसीलिए खरमास में कोई भी नवीन कार्य की शुभारंभ नहीं करनी चाहिए।

पढ़े खरमास की कथा

भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के साथ रथ पर संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है लेकिन, रथ से जुड़े सातों घोड़ों को लगातार चलने और विश्राम नहीं होने के कारण अधिक थक जाते हैं। घोड़ों की ऐसी हालत देखकर भगवान सूर्य देव का मन भी द्रवित हो गया और घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए। लेकिन सूर्यदेव को यह आभास हुआ कि यदि रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। जब तालाब के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि इस जगह पर खर यानि गधा भी मौजूद हैं। भगवान ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के उद्देश्य से वहां छोड़ दिया और खर यानि गधों को ही रथ में घोड़ों की जगह जोड़ दिया। गधों को सूर्य देव का रथ खींचने में काफी तकलीफ हो रही थी। इस दौरान रथ की गति धीमी हो गई। जिस किसी प्रकार सूर्य देव ने एक मास तक खड़के द्वारा खींचे गए रथ का चक्र पूरा किया। तत्पश्चात सातों घोड़े भी पहले की तरह ऊर्जावान हुए और पुनः रथ में जुड़ गए। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष पौष मास यानी खरमास कहा जाता है। पुनः मकर राशि में जब सूर्य आयेंगे तब सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

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