रिपोर्ट: राहुल पराशर|अररिया
पछुआ हवा के बीच बढ़ी ठंड ने आम जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। ठंड का आलम यह है कि ठंड की ठिठुरन के कारण मनुष्य और पशु के बीच की दूरी मिटने लगी है। ठंड से बचाव के लिए लोग गर्म कपड़े और अलाव का सहारा ले रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर मूक पशुओं का बड़ी परेशानी हो रही है। उन्हे ठंड से बचाव के लिए शांत हुए अलाव के ताप में बैठा या किसी कोने में दुबके देखा जा सकता है।
फारबिसगंज रेलवे स्टेशन पर बड़ी आशियाना विहीन लोग रहते हैं। रात में प्लेटफार्म सहित अन्य रेलवे स्टेशन पर ऐसे निःसहाय लोगों को गर्म कपड़ों में दुबके आसानी से देखा जा सकता है। सोमवार के दिन मौसम की बेरुखी के बीच रेलवे स्टेशन के फूट ओवरब्रिज पर एक ऐसा दृश्य सामने आया, जो मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख दिया है। फूट ओवरब्रिज पर कंबल और गर्म कपड़ों से दुबके एक राहगीर के बगल में ही ठंड से बचाव करते कुत्ता बगल में लेटा नजर आया। राहगीर के सिरहाने के पास कुत्ता शांत चित्त सोया हुआ था। यह दृश्य मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली थी। अचानक कैमरा का क्लिक होने के बाद गर्म कपड़ों में लिपटे सुपौल निर्मली के मनोज शर्मा ने बताया कि उनका इस जहां में कोई नहीं है। इसी तरह स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर रहकर छोटा मोटा काम कर अपना पेट पाल रहा है। बगल में कुत्ते के रहने के बाबत उन्होंने कहा कि यह भी प्राणी है और इसमें भी जान है। ऐसे में ठंड उन्हें भी लग रही है। पशु से प्यार करना चाहिए। प्यार की भाषा उन्हें भी समझ में आता है। उन्होंने बताया कि कभी कभी वह पाव रोटी लाकर इन पशुओं को खिलाता भी है। कभी भी कोई पशु ने उन्हें हानि नहीं पहुंचाई है। उनकी पशुओं के प्रति भावना मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली है। बहरहाल तस्वीर के अनुसार ठंड की ठिठुरन ने मनुष्य और पशुओं के बीच की दूरी को कहीं न कहीं मिटाने का काम किया है।