



न्यूज डेस्क पटना:
बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, वाम दलों और एनसीपी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस अभियान को लेकर गहरी आपत्ति जताई है। इन दलों का आरोप है कि यह रिवीजन प्रक्रिया सरकार के इशारे पर की जा रही है, जिसका मकसद खास समुदायों और वर्गों को मतदाता सूची से बाहर कर उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित करना है।
राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए 9 जुलाई को पूरे बिहार में चक्का जाम करने की घोषणा की है। इस आंदोलन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है, जिससे विरोध प्रदर्शन को व्यापक जनसमर्थन मिल सकता है।
इस मुद्दे की गूंज अब राष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई देने लगी है। पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य में भी वोटर लिस्ट की समीक्षा की मांग की है, जिसके जवाब में तृणमूल कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी महागठबंधन के चक्का जाम आंदोलन को समर्थन दे सकती हैं।
जातीय समीकरण बनाम हिंदुत्व की सियासी लड़ाई
बिहार में यह मुद्दा उस वक्त गरमा रहा है जब राजनीतिक दल चुनावी जमीन को अपने-अपने एजेंडे के अनुसार तैयार कर रहे हैं। भाजपा जहां हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की पिच को मजबूत करने में लगी है, वहीं महागठबंधन दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को एकजुट कर सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा को अपना मूल मुद्दा बना रहे हैं।
भाजपा ने हाल के दिनों में हिंदू संतों के बड़े सम्मेलन आयोजित कराकर एक नया सामाजिक संदेश देने की कोशिश की है। स्वामी रामभद्राचार्य और बाबा बागेश्वर जैसे संतों के जरिए जाति भेदभाव को भूलकर हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की जा रही है। जानकारों का मानना है कि यदि यह अभियान असरदार रहा तो यह नीतीश कुमार और एनडीए को स्पष्ट लाभ पहुंचा सकता है।
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव खुद को सामाजिक न्याय की राजनीति में लालू यादव के उत्तराधिकारी के रूप में पेश करते हुए नए तेवर के साथ मैदान में हैं। वे जातीय समीकरण के साथ रोजगार, शिक्षा और विकास जैसे मुद्दों को भी प्रमुखता दे रहे हैं। हालांकि, पटना के गांधी मैदान में इमारत-ए-शरियत की सभा में वक्फ कानून हटाने की उनकी घोषणा को भाजपा ने मुसलमानों का तुष्टीकरण बताकर उन्हें “नया लालू” करार दिया है। यदि धार्मिक ध्रुवीकरण गहराया, तो यह राजद के परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
राहुल गांधी का ‘संविधान संकट’ एजेंडा फिर जोर पर
महागठबंधन के प्रमुख चेहरों में शामिल राहुल गांधी वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं। जातिगत जनगणना, आरक्षण की सीमा बढ़ाने और संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता जैसे विषयों के जरिए वे पहले ही एक धारदार नैरेटिव गढ़ चुके हैं। अब वे वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ को “लोकतंत्र पर हमला” बता रहे हैं और कांग्रेस इसे निचले स्तर तक ले जाकर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी में है।
कांग्रेस के किसान मोर्चा से जुड़े नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाया है। अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष अखिलेश शुक्ला ने कहा कि यह समय बिहार के लाखों श्रमिकों के पंजाब और हरियाणा जाने का है, जहां वे धान की रोपाई में जुटे होते हैं। ऐसे में यदि चुनाव आयोग इसी समय वोटर लिस्ट को अंतिम रूप दे देता है तो बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक सूची से बाहर हो सकते हैं।
किसान कांग्रेस के नेशनल कोऑर्डिनेटर प्रबल प्रताप शाही ने इसे ‘साजिश’ करार देते हुए कहा कि कांग्रेस इस अन्याय के खिलाफ पूरे प्रदेश में अभियान चलाएगी और श्रमिकों-किसानों को उनके मतदाता अधिकारों के प्रति जागरूक करेगी।
भाजपा का पलटवार: ‘फर्जी मतदाताओं को हटाने की कोशिश पर हंगामा क्यों?’
उधर, भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता एसएन सिंह ने कहा कि पूरे देश में लाखों फर्जी मतदाता—खासकर बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या—वोटर लिस्ट में शामिल हो चुके हैं। यदि चुनाव आयोग ऐसे लोगों को सूची से हटाने का अभियान चला रहा है तो इसमें आपत्ति क्यों?
उन्होंने कहा कि आयोग केवल वैध मतदाताओं के नामों को सूची में बनाए रखने की बात कह रहा है, और यदि विपक्ष को इससे दिक्कत हो रही है तो यह उनकी नीयत पर सवाल खड़े करता है।