



News Desk Supaul:
जिले के राघोपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत गणपतगंज बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। शनिवार को नवरात्र के छठे दिन मंदिर में मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की भव्य पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर भक्तों ने मां के दर्शन किए और अपनी मनोकामनाओं के पूरा होने की कामना की। मंदिर को रंग-बिरंगी झालरों और बल्बों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
151 वर्ष पुराना इतिहास
मंदिर पूजा समिति के वरिष्ठ सलाहकार सदस्य उद्योतचंद कोठारी उर्फ बाबला बाबू ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 151 वर्ष पुराना है। इसकी नींव हरावत राज के जमींदार गणपत सिंह और नरपत सिंह ने रखी थी। पहले यह मंदिर देवीपुर पंचायत के कोरियापट्टी गांव में स्थित था। लेकिन सड़क मार्ग की समस्या और दूरी के कारण लगभग 118 वर्ष पूर्व इसे गणपतगंज बाजार में स्थापित किया गया। तब से यह मंदिर पूरे क्षेत्र का आस्था केंद्र बना हुआ है।

चमत्कारिक मान्यताएं
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। कई श्रद्धालुओं ने यहां मां की दिव्य उपस्थिति का अनुभव किया है। लोगों का कहना है कि उन्होंने रात के समय मां के पांवों में छनकते घुंघरू और ढोल-नगाड़ों की ध्वनि भी सुनी है। यही वजह है कि इस मंदिर की ख्याति दूर-दराज के जिलों और गांवों तक फैली हुई है।

मूर्ति निर्माण और पूजा व्यवस्था
पिछले 28 वर्षों से बंगाल के प्रसिद्ध कारीगर प्रशांत पॉल और उनकी टीम यहां मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण करते आ रहे हैं। पूजा-अर्चना का कार्य बनारस निवासी आचार्य गोविंद झा और आकाश झा के नेतृत्व में संपन्न हो रहा है। वहीं, ठाकुर के रूप में भीखन ठाकुर वर्षों से मंदिर में अपनी सेवा दे रहे हैं। जबकि इसबार यजमान गंगा प्रसाद यादव है।

मंदिर समिति की सक्रियता
मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय पूजा समिति संभाल रही है। इसमें अध्यक्ष दीनदयाल अग्रवाल उर्फ पप्पू अग्रवाल, उपाध्यक्ष चेतन शर्मा, सचिव संतोष शर्मा, बिनोद वर्मा, कोषाध्यक्ष मुरारी लाल शर्मा, सौरव कोठारी और वरिष्ठ सलाहकार समिति के उद्योतचंद कोठारी (बाबला बाबू), बिनोद अग्रवाल, और दीनानाथ अग्रवाल प्रमुख हैं।

समिति के सदस्यों का कहना है कि गणपतगंज का यह दुर्गा मंदिर केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी क्षेत्र की धरोहर है। यहां हर साल नवरात्र और दशहरा के समय भव्य आयोजन होते हैं, जिनमें आसपास के क्षेत्रों के हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
आस्था का अटूट प्रतीक
भक्तों का विश्वास है कि मां दुर्गा अपने दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु की झोली भर देती हैं। यही कारण है कि गणपतगंज का यह मंदिर आज भी आस्था और चमत्कार का प्रतीक बना हुआ है।