News Desk Patna:
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी गहरे सदमे और अंदरूनी कलह से जूझ रही है। प्रदेश में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद जहाँ पार्टी कार्यकर्ता नेतृत्व पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कई वरिष्ठ नेताओं ने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है। पटना स्थित कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में बीते दो दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है, जिसने पार्टी की भीतर की फूट को पूरी तरह उजागर कर दिया है।
सदाकत आश्रम में कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटा, “नेतृत्व बदलो” की उठी मांग
शुक्रवार को पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भीड़ इतनी उग्र थी कि माहौल शांत कराने के लिए पप्पू यादव खुद मौके पर पहुंचे। वे कार्यकर्ताओं के बीच जमीन पर बैठकर बातचीत करने की कोशिश करते दिखे, लेकिन नाराज कार्यकर्ताओं ने उन्हें भी नहीं बख्शा और जोर-जोर से नारे लगाए— “पप्पू यादव वापस जाओ!”
लगातार दो दिनों तक हुए इस विरोध में कार्यकर्ताओं ने बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्ण अलावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को तुरंत हटाने की मांग उठाई। उनका आरोप है कि चुनावी रणनीति से लेकर टिकट वितरण तक, हर स्तर पर नेतृत्व की नाकामी का खामियाज़ा पार्टी को भुगतना पड़ा।
43 नेताओं को नोटिस, धरना-प्रदर्शन ने बढ़ाया तनाव
कांग्रेस ने चुनावी हार के बाद अनुशासनहीनता और अंदरूनी गतिविधियों पर कार्रवाई करते हुए 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। नोटिस पाने वालों में पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं। इस कार्रवाई ने पार्टी में और अधिक असंतोष भड़का दिया। नोटिस से नाराज नेताओं के एक बड़े समूह ने बुधवार को संस्करण आश्रम में धरना दिया था, जबकि शुक्रवार को भी यही सिलसिला जारी रहा। विरोधियों का कहना है कि चुनावी हार का ठीकरा नेताओं पर फोड़कर प्रदेश नेतृत्व अपनी कमियों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शरबत जहां फातिमा का इस्तीफा, गंभीर आरोपों से हिली पार्टी
पार्टी में उथल-पुथल तब और बढ़ गई जब महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष शरबत जहां फातिमा ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा देकर पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगा दिए। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि—
- टिकट वितरण में जानबूझकर महिलाओं के साथ नाइंसाफी हुई।
- कांग्रेस ने महिलाओं को मात्र 8% प्रतिनिधित्व दिया।
- दोनों सदनों में महिला नेतृत्व शून्य हो गया।
- दिल्ली में बैठे नेताओं तक जमीनी कार्यकर्ताओं की सही जानकारी नहीं पहुँचाई गई।
- राहुल गांधी तक गलत जानकारी पहुंचाई गई।
फातिमा ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से महिला सशक्तिकरण की बात करती है, लेकिन बिहार चुनाव में वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत साबित हुई। उन्होंने कहा कि इस विडंबना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए वे पद छोड़ रही हैं। उन्होंने सोनिया गांधी को अपना आदर्श बताते हुए कहा कि उनके 25 साल के राजनीतिक जीवन की यह सबसे पीड़ादायक स्थिति है।
बिहार कांग्रेस में कलह खत्म होने के आसार नहीं
चुनावी हार के बाद जिस तरह विरोध, इस्तीफे, नोटिस और आरोपों की श्रृंखला सामने आई है, उससे लग रहा है कि कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में तनाव अभी कम होने वाला नहीं है। पार्टी हाईकमान ने इस पूरे विवाद पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है। लेकिन लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में नेतृत्व बदलाव, संगठन पुनर्गठन या अनुशासनहीन नेताओं पर और कड़ी कार्रवाई जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
फिलहाल बिहार कांग्रेस अस्थिरता और असंतोष के दौर से गुजर रही है, और पार्टी के लिए अंदरूनी कलह को शांत कर पाना एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है।







