News Desk Supaul:
सशस्त्र सीमा बल (SSB) का 62वां स्थापना दिवस आज रिक्रूट प्रशिक्षण केंद्र (आरटीसी), सुपौल में पूरे उत्साह, गरिमा और अनुशासन के साथ भव्य रूप से मनाया गया। स्थापना दिवस समारोह में बल की गौरवशाली परंपराओं, शौर्य, अनुशासन और राष्ट्रसेवा की भावना का सजीव प्रदर्शन देखने को मिला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उप महानिरीक्षक (डीआईजी) संजय कुमार शर्मा रहे। समारोह की शुरुआत महानिदेशक, सशस्त्र सीमा बल द्वारा स्थापना दिवस के अवसर पर दिए गए संदेश के वाचन से हुई। संदेश में एसएसबी के गौरवपूर्ण इतिहास, शहीद जवानों के सर्वोच्च बलिदान तथा राष्ट्र की सीमा सुरक्षा में बल की अहम भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।

स्थापना दिवस के अवसर पर आरटीसी परिसर में संदीक्षा सदस्यों, बच्चों, बल के कार्मिकों एवं प्रशिक्षुओं के लिए विभिन्न सांस्कृतिक, खेल एवं रचनात्मक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में सभी प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रमों के माध्यम से अनुशासन, टीम भावना, नेतृत्व क्षमता और रचनात्मक सोच को बढ़ावा मिला। विजेताओं को सम्मानित भी किया गया, जिससे प्रतिभागियों का मनोबल और अधिक बढ़ा।

मुख्य अतिथि डीआईजी संजय कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में सशस्त्र सीमा बल के जवानों की कर्तव्यनिष्ठा, साहस, अनुशासन और जनसेवा भावना की सराहना की। उन्होंने कहा कि एसएसबी के जवान विषम परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हुए राष्ट्र की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होंने प्रशिक्षण को बल की रीढ़ बताते हुए कहा कि मजबूत प्रशिक्षण ही किसी भी बल को सक्षम और प्रभावशाली बनाता है। इस अवसर पर उन्होंने सभी अधिकारियों, कार्मिकों एवं प्रशिक्षुओं को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं।
बता दे कि सशस्त्र सीमा बल भारत-नेपाल एवं भारत-भूटान अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ एवं अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा, नक्सल-रोधी अभियानों तथा विशेष कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों के साथ समन्वय बनाकर सुरक्षा सुनिश्चित करना एसएसबी की विशेष पहचान है।
समारोह के समापन पर राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने के संकल्प के साथ बल के उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई।







