News Desk Saharsa:
जिले में लगातार बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या और कुत्ता काटने से होने वाले रैबीज के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रशासन ने ठोस कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। पंचायती राज विभाग के निर्देश पर सहरसा जिले में शीघ्र ही कुत्ता आश्रय गृह (डॉग शेल्टर होम) का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने जमीन की तलाश शुरू कर दी है और सभी अंचलाधिकारियों से उपयुक्त भूमि का प्रस्ताव मांगा गया है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जैसे ही अंचलाधिकारियों से जमीन का प्रस्ताव प्राप्त होगा, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा आश्रय गृह का वैज्ञानिक और मानक डिजाइन तैयार कराया जाएगा। इसके बाद जिला परिषद के षष्ठम वित्त आयोग की राशि से इस आश्रय गृह का निर्माण कराया जाएगा।
इस कुत्ता आश्रय गृह का उद्देश्य केवल आवारा कुत्तों को पकड़कर बंद करना नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक, मानवीय और स्थायी तरीके से समस्या का समाधान करना है। आश्रय गृह में स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी, कृमिनाशक दवा, रैबीज टीकाकरण और नियमित प्रतिरक्षण की व्यवस्था की जाएगी। इससे न केवल कुत्तों की संख्या नियंत्रित होगी, बल्कि आम लोगों को रैबीज जैसी जानलेवा बीमारी से भी सुरक्षा मिलेगी।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग में उपलब्ध रैबीज वैक्सीन की सूची से स्पष्ट है कि हर वर्ष जिले में लगभग तीन से चार हजार लोग आवारा कुत्तों के काटने का शिकार होते हैं। नियंत्रण के अभाव में यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है।
सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग व्यवस्था की है। शहरी क्षेत्रों में नगर निकायों के माध्यम से और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला परिषद के माध्यम से कुत्ता आश्रय गृह बनाए जाएंगे। इससे पूरे जिले में आवारा कुत्तों के प्रबंधन की एक संगठित और प्रभावी प्रणाली विकसित होगी।
प्रशासनिक स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार, सहरसा जिले में इस योजना को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं और जल्द ही जमीन चिन्हित कर निर्माण प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। आम लोगों को इस पहल से बड़ी राहत मिलने की संभावना है, वहीं रैबीज जैसी घातक बीमारी पर भी प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।







