News Desk Supaul:
जिले के राघोपुर रेफरल अस्पताल एक बार फिर विवादों में घिर गया है। ताजा मामला मंगलवार का है, जहां परिवार नियोजन ऑपरेशन के बाद अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली मुफ्त दवाओं के बावजूद कुछ आशा कार्यकर्ताओं द्वारा मरीजों को बाहर से प्राइवेट दवाएं खरीदवाने का गंभीर आरोप सामने आया है। यह मामला तब उजागर हुआ जब न्यूज एक्सप्रेस बिहार की टीम को इसकी सूचना मिली और उसने अस्पताल पहुंचकर मौके की पड़ताल की।

बताया गया कि सोमवार को रेफरल अस्पताल राघोपुर में परिवार नियोजन ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद मंगलवार सुबह डिस्चार्ज से पूर्व मरीज को अस्पताल की ओर से डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएं उपलब्ध कराई गईं। इसके बावजूद कुछ आशा कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर से मरीजों को बाहर की प्राइवेट दवाएं लेने के लिए प्रेरित किया।
जब न्यूज एक्सप्रेस बिहार की टीम अस्पताल पहुंची तो मरीज के बेड पर अस्पताल से मिली दवाओं के साथ-साथ बाहर से खरीदी गई प्राइवेट दवाएं भी रखी हुई पाई गईं। इस संबंध में जब मरीज के परिजनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने खुलकर अपनी आपबीती बताई।

मरीज के परिजन राम कुमार ने बताया कि अस्पताल से दवाएं मिलने के बावजूद आशा किरण कुमारी ने कहा कि बाहर से प्राइवेट दवा दिलवा देती हूं। उन्होंने बताया कि बिना डॉक्टर के किसी लिखित सुझाव के आशा द्वारा बाहर से करीब 1800 रुपये की दवाएं खरीदवाई गईं। वहीं एक अन्य परिजन मो. नसीम ने बताया कि आशा अलका देवी के कहने पर उन्होंने बाहर से दवा खरीदी। उन्होंने कहा कि आशा ने यह कहते हुए बाहर चलने को कहा कि वहां से दवा दिला देती हूं, जबकि अस्पताल से दवा पहले ही मिल चुकी थी।
कुछ अन्य परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि आशाओं द्वारा 2 से 3 हजार रुपये तक की दवाएं बाहर से खरीदवाकर मरीजों को दी गईं। यह पूरा मामला अस्पताल की कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
इस संबंध में जब संबंधित अधिकारियों से बात की गई तो बीसीएम मो. साद्दाब ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दीपनारायण राम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस तरह की हरकत करने वाली आशा कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उधर, सिविल सर्जन डॉ. ललन ठाकुर ने बताया कि वे इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधक से बात करेंगे।
बहरहाल, रेफरल अस्पताल राघोपुर में सामने आया यह मामला न सिर्फ मरीजों के आर्थिक शोषण की ओर इशारा करता है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद प्रशासन दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर कैसे रोक लगाई जाती है।







