रिपोर्ट: अमरेश कुमार|सुपौल
मॉनसून की संभावना से कोसी तटबंध के अंदर खेती बाड़ी करने वाले किसानों में चिंता की लकीर दिखने लगी है। खास कर कोसी तटबंध के अंदर के किसानों के लिए मॉनसून का समय बेहद ही कष्टदायक होता है। खेत में पानी फैल जाने से एक तरफ जहां खेत में लगी फसल बर्बाद हो जाती है वहीं बाढ़ की संभावना भी बनी रहती है। इधर पिछले दिनो की छिटपुट बारिश और कोसी में बढ़ रहे जलस्तर से किसान खौफजदा हैं। तटबंध के अंदर जिन किसानों ने मूंग मकई आदि की फसलें लगाई उनकी फसल बर्बाद हो चुकी है। खेत में पानी लग जाने के कारण सैकड़ों एकड़ खेत में बर्बाद हो रही फसल को किसान आनन फानन में हटाने लगे हैं ताकि वो फसल मवेशी के चारा के रूप में उपयोग किया जा सके, 15 जून से बाढ़ अवधि शुरू हो जाती है और कोसी का पानी तटबंध के अंदर फैलने लगता है। जिसमे तीन से चार महीने कोसी का पानी लगा रहता है।
किसानों की माने तो वे बड़ी मुश्किल से फसल लगाते हैं लेकिन मानसून के कारण यह फसल उन्हे रास नहीं आती। हर वर्ष इसी तरह फसल बर्बाद होती रहती है। यह तश्वीर सदर प्रखंड के बस बिट्टी पंचायत का है जहां कोसी तटबंध के अंदर खेती करने वाले किसानों में काफी मायूसी है। बारिश और कोसी में पानी बढ़ने के डर से किसान कच्ची फसल काटकर ले जाने को मजबूर हैं।