न्यूज डेस्क सुपौल:
जिले के राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के गणपतगंज स्थित प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार चौधरी के आवास पर उनकी ही अध्यक्षता में बुधवार को प्रथम बार मैथिली कवि कोकिल विद्यापति की स्मृति दिवस को समारोह पूर्वक आयोजित की गयी। जहां समारोह का उद्घाटन जिला पार्षद कल्पना देवी ने विद्यापति के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान मिथिला के पारंपरिक रीति रिवाज से अंग वस्त्र एवं पाग पहनाकर किया गया।
इस मौके पर मुख्य वक्तव्य देते हुए अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (साहित्य प्रकोष्ठ) के केन्द्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉ रवीन्द्र कुमार चौधरी ने विद्यापति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को बताते हुए कहा कि विद्यापति मैथिली साहित्य के प्राचीन कवि हैं। मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्ष 2003 में शामिल किया जा चुका है। यह भाषा 1965 ई. से साहित्य अकादेमी में शामिल है। इसके बावजूद इस भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया गया, जो दुखद है। प्रो. चौधरी ने बिहार सरकार से मांग किया कि मैथिली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने हेतु अपनी अनुशंसा केंद्र सरकार को भेज कर मैथिली भाषा के साथ न्याय करावें।
जिला पार्षद कल्पना देवी ने कहा कि विद्यापति शिव के उपासक थे। उनकी भक्ति भावना के कारण ही भगवान शिव उनके यहां उगना नाम से नौकरी भी किए।
प्रतापगंज के प्रखंड प्रमुख व मैथिली साहित्य के विद्वान डॉ रमेश प्रसाद यादव ने कहा कि 1352 से 1450 ई के बीच विद्यापति का समय था। उस समय संस्कृत भाषा का प्रचलन पूरे मिथिला में था। विद्यापति संस्कृत भाषा में रचना करना छोड़ देसिल बयना मैथिली में रचना प्रारंभ किये। यही देसिल बयना बाद में मैथिली भाषा कहलाया।
जिला पार्षद प्रतिनिधि धीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि विद्यापति आम लोगों के लिए साहित्य सृजन किये। इसी कारण आज पूरे देश-विदेश में वे जाने जाते हैं। शिक्षक नेता शिकेन्द्र प्रसाद यादव ने विद्यापति को मैथिली एवं हिंदी साहित्य के आदि कवि बताते हुए कहा कि विद्यापति ने श्रृंगार एवं भक्ति रचना कर मैथिली साहित्य को विशिष्ट पहचान दिलाया। आज जो हम लोग गांव-घर में ठेंठी भाषा में बोलते हैं, यही विद्यापति की देसिल बयना मैथिली है। वहीं धरहरा पंचायत के मुखिया कमलेश शाह, डुमरी पंचायत के मुखिया डॉक्टर गजेंद्र प्रसाद यादव, पंचायत समिति सदस्य अताउर रहमान एवं समिति सदस्य विपिन प्रसाद यादव ने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह का आयोजन इस क्षेत्र में प्रथम बार हुआ है। ऐसे विशिष्ट आयोजन हर वर्ष किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी विद्यापति के योगदान को समझ सके तथा मैथिली भाषा के उत्थान के लिए संघर्ष कर सकें।
इस मौके पर विद्यापति समारोह के आयोजन में विशिष्ट योगदान के लिए श्रीमती किरण चौधरी को जिला पार्षद कल्पना देवी ने अंग वस्त्र एवं माला पहनाकर उनका उत्साह वर्धन किया। कार्यक्रम का संचालन सुमन कुमार पंकज तथा धन्यवाद ज्ञापन रामसेवक यादव ने किया।
इस मौके पर वार्ड सदस्य वासुदेव यादव, संतोष कुमार सिंह, बबलू चौधरी, जियाउद्दीन अंसारी, संजय कुमार शर्मा, जगदीश प्रसाद यादव, दयाशंकर चौधरी, संजय कुमार पंकज, वंदना सिंह, सुनीता देवी, निशा कुमारी, विकास जायसवाल, कुमार हर्ष, आदित्य आनंद, रितु प्रिया, जया प्रिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।