न्यूज डेस्क सुपौल:
जिले के राघोपुर थाना क्षेत्र के डुमरी पंचायत के सतकोदरिया गांव, वार्ड संख्या 4 से एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है। 26 वर्षीय लक्ष्मी मुखिया ने मंगलवार रात अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे गांव को शोकाकुल कर दिया है। मृतक ने अपने पीछे पत्नी फुलेश्वरी देवी और तीन मासूम बच्चों-6 वर्षीय शिवनन कुमार, 5 वर्षीय निशा कुमारी और 3 वर्षीय राजकुमार-को छोड़ दिया है।
परिवार पर आर्थिक संकट की मार
मृतक के पिता जगदीश मुखिया और पत्नी फुलेश्वरी देवी ने बताया कि लक्ष्मी मुखिया पिछले चार वर्षों से अपने पिता से अलग रहकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। उनकी पत्नी फुलेश्वरी पिछले दो वर्षों से गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं। इलाज कराने के लिए लक्ष्मी ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों और गांव के अन्य लोगों से करीब चार लाख रुपये का कर्ज लिया।
बीमारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते लक्ष्मी मजदूरी भी नियमित रूप से नहीं कर पा रहा था। इसी बीच खुद लक्ष्मी भी बीमारियों की चपेट में आ गया। उसे किडनी में पथरी की समस्या थी और बाद में पैरालिसिस भी हो गया। इन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उसे और कर्ज लेना पड़ा।
कर्ज का आंकड़ा और मानसिक दबाव
मृतक पर कई माइक्रोफाइनेंस कंपनियों और ग्रामीणों का कर्ज था। परिवार ने बताया कि ये कर्ज निम्नलिखित थाः
- सुगमया फाइनेंसः ₹40,000
- अन्नपूर्णा फाइनेंस: ₹45,000
- फेडरल बैंक: ₹45,000
- आरबीएल बैंक: ₹60,000
- समस्ता फाइनेंस: ₹50,000
- महिला समूहः ₹25,000
- भारत फाइनेंसः ₹16,800
- आईआईएफएल फाइनेंस: ₹50,000
इसके अलावा, गांव के कुछ लोगों से भी उसने लगभग ₹50,000 से अधिक का कर्ज लिया था। परिजनों ने बताया कि कई कर्ज ऐसे थे, जिनकी पूरी जानकारी खुद परिवार को भी नहीं है।
लक्ष्मी मुखिया आइसक्रीम बेचकर अपने परिवार का गुजारा कर रहा था, लेकिन इस काम से होने वाली आय इतनी कम थी कि वह कर्ज की किश्तें भी समय पर नहीं चुका पा रहा था। लगातार बढ़ते दबाव और आर्थिक तंगी के कारण वह मानसिक रूप से टूट गया।
घटना का खुलासा
बुधवार सुबह जब लक्ष्मी ने अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला, तो परिवार के सदस्यों को अनहोनी की आशंका हुई। दरवाजा तोड़ने पर उन्होंने लक्ष्मी को फंदे से झूलता हुआ पाया। यह दृश्य देखकर पूरे परिवार में कोहराम मच गया।
पिता जगदीश मुखिया ने बताया कि गांव वालों ने उन्हें पुलिस को सूचना देने से मना कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस उल्टा परिवार पर ही कार्रवाई कर सकती है। इस डर से अब तक घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई है।
सामाजिक और आर्थिक मुद्दों की तस्वीर
इस घटना ने इलाके में गरीबी, कर्ज और मानसिक स्वास्थ्य के गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। कर्ज के दुष्चक्र और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के बढ़ते दबाव ने न केवल लक्ष्मी की जान ले ली, बल्कि उसके परिवार को भी अनिश्चित भविष्य के गर्त में धकेल दिया।