



कोशी परियोजना की भूमिका, नहरों की स्थिति और किसानों के सुझावों पर हुई व्यापक चर्चा
न्यूज डेस्क सुपौल:
सिंचाई प्रमंडल, राघोपुर द्वारा शनिवार को आईबी परिसर में एक अहम किसान संवाद बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक वर्तमान मौसम की अल्पवर्षा की चुनौती और उससे उत्पन्न सुखाड़ जैसी स्थिति में खरीफ फसल की सिंचाई को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। इस बैठक में बड़ी संख्या में स्थानीय किसान, जनप्रतिनिधि, विभागीय पदाधिकारी एवं तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता राघोपुर सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार ने की।

जानकारी देते हुए राघोपुर सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार किसान संवाद के माध्यम से किसानों को सिंचाई से सम्बंधित हो रही समस्याओं की जानकारी लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराएंगे। बताया कि किसानो की समस्या का समाधान करते हुए नहरों में पानी को अंतिम छोड़ तक पहुचाएंगे।
कोशी परियोजना: बिहार की जीवनरेखा
बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने बताया कि कोशी नदी, जो नेपाल के हिमालय क्षेत्र से निकलती है, उत्तर बिहार के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाती है। इतिहास का हवाला देते हुए कहा गया कि जैसे सिन्धु घाटी सभ्यता सिन्धु नदी के किनारे और मेसोपोटामिया सभ्यता गजला और फरात नदी के किनारे फली-फूली, उसी प्रकार कोशी नदी भी इस क्षेत्र की जीवनरेखा रही है।
हालाँकि, कोशी को अतीत में “बिहार का शोक” भी कहा जाता रहा है क्योंकि इसके बहाव ने वर्षों तक बाढ़ और तबाही मचाई। इसी समस्या से निपटने के लिए 1960 के दशक में कोशी बराज और तटबंधों का निर्माण किया गया। इसके पश्चात पूर्वी और पश्चिमी कोशी नहर प्रणाली की शुरुआत हुई।
सिंचाई प्रणाली की संरचना और विस्तार
बैठक में बताया गया कि पूर्वी कोशी मुख्य नहर प्रणाली के अंतर्गत लगभग 4,48,590 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इसी प्रणाली के तहत सिंचाई प्रमंडल राघोपुर कार्य करता है जो सुपौल, मधेपुरा और सहरसा जिलों के कई प्रखंडों एवं पंचायतों में नहरों के माध्यम से जलापूर्ति करता है।

राघोपुर प्रमंडल के अंतर्गत राजपुर शाखा नहर और उससे जुड़ी विभिन्न उपशाखा, वितरणी, उपवितरणी एवं लघु नहरें कार्यरत हैं। इनकी विस्तृत स्थिति निम्न है:
- शाखा नहर (राजपुर): 9.86 किमी
- दो उपशाखा (गम्हरिया एवं मधेपुरा): 157.62 किमी
- वितरणी (सिंहेश्वर): 33.54 किमी
- सात उपवितरणी: 70.66 किमी
- 31 लघु नहरें: 138.49 किमी
- कुल नहर नेटवर्क: 417 किमी
अल्पवर्षा से उत्पन्न संकट और विभागीय प्रयास
बैठक में बताया गया कि जून और जुलाई 2025 में तीनों जिलों में 68% तक कम वर्षा दर्ज की गई है:
- सुपौल: 602.6 मिमी के विरुद्ध 194.7 मिमी (-68%)
- मधेपुरा: 541.3 मिमी के विरुद्ध 181.7 मिमी (-66%)
- सहरसा: 578.3 मिमी के विरुद्ध 186.2 मिमी (-68%)
इस वर्षा की कमी के कारण खरीफ फसलों की बुवाई और उत्पादन पर खतरा मंडरा रहा है। इस संकट को देखते हुए विभाग द्वारा 11 जून 2025 से ही पूर्वी कोशी नहर प्रणाली में जल प्रवाह प्रारंभ कर दिया गया है।
वर्तमान जल प्रवाह की स्थिति
विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार:
- राजपुर शाखा नहर:रूपांकित क्षमता: 2700 क्यूसेक अधिकतम प्रवाह: 1600 क्यूसेक वर्तमान औसत प्रवाह: 1230–1450 क्यूसेक
- गम्हरिया उपशाखा नहर:क्षमता: 590 क्यूसेक वर्तमान प्रवाह: 350–425 क्यूसेक
- मधेपुरा उपशाखा नहर:क्षमता: 536 क्यूसेक वर्तमान प्रवाह: 300–350 क्यूसेक
नहरों में क्षमता के अनुसार अधिकतम जल छोड़ने की कोशिश की जा रही है, ताकि अंतिम छोर तक पानी पहुंचे।
लघु नहरों की स्थिति चिंता का विषय
बैठक में यह स्वीकार किया गया कि लघु नहरों में जल अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे कई किसान सिंचाई से वंचित हैं। यह एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इसके समाधान के लिए भौगोलिक सुधार कार्य, साफ-सफाई अभियान और ग्रामीण सहयोग को अहम बताया गया।
किसानों से संवाद और सुझाव
बैठक में अधिकारियों को किसानों ने स्थानीय समस्याओं को चिन्हित कर विभाग को अवगत कराया और नहर प्रणाली को और कारगर बनाया जा सके इसके लिए अपने सुझाव साझा किया।
मौके पर जल संसाधन विभाग पटना के कार्यपालक अभियंता मोनिटरिंग -2 नवीन कुमार, राघोपुर अवर सिंचाई प्रमंडल पदाधिकारी सौरव, पिपरा अवर प्रमंडल सिंचाई पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार, फिंगलास पंचायत के मुखिया प्रकाश यादव समेत सुपौल एवं मधेपुरा के दर्जनों किसान उपस्थित थे।