कोसी के कटाव की चपेट में आया संस्कृत विद्यालय, पांचवीं बार बदलना पड़ा ठिकाना, कटाव से दहशत में लोग

न्यूज डेस्क सुपौल:

कोसी नदी का मिजाज एक बार फिर उफान पर है। लगातार कई दिनों से जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी रहने के बीच रविवार देर रात नदी अपने इस वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कोसी बराज से रात नौ बजे 2,00,430 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया, जिसे इस साल का सबसे अधिक प्रवाह माना जा रहा है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि देर रात के बाद जलस्तर में कमी आने की संभावना है, लेकिन स्थिति अब भी संवेदनशील बनी हुई है।

तेजी से बढ़ते जलस्तर और कटाव के चलते तटबंध के अंदर बसे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कई घर नदी में समा चुके हैं, जिसके कारण प्रभावित परिवार ऊंचे स्थानों पर नए अस्थायी ठिकाने बनाने को मजबूर हैं। इस बीच कोसी का कटाव अब शैक्षणिक संस्थानों को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। सदर प्रखंड के घुरण गांव में स्थित बौआ ठाकुर संस्कृत प्राथमिक सह मध्य विद्यालय नदी के कटाव के खतरे में आ गया है।

वर्ष 1978 में स्थापित यह विद्यालय फूस और टिन के शेड में संचालित होता रहा है। इसमें कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है और कुल 142 छात्र नामांकित हैं। विद्यालय के HM शशिभूषण चौधरी ने बताया कि फिलहाल यहां केवल एक शिक्षक पदस्थापित हैं और सरकारी अनुदान से ही इसका संचालन किया जाता है। कोसी के तेज कटाव के कारण विद्यालय को अब तक पांच बार स्थानांतरित करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “कटाव की रफ्तार पिछले दो-तीन दिनों में इतनी बढ़ गई कि पानी सीधे स्कूल की जमीन तक पहुंच गया। अगर समय पर कदम नहीं उठाते तो पूरी संरचना नदी में बह जाती।”

शिक्षक और ग्रामीणों की मदद से विद्यालय का सामान सुरक्षित स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, पक्के शौचालय को हटाना संभव नहीं हुआ है। वर्तमान में शौचालय के ठीक बगल से कोसी नदी बह रही है और किसी भी क्षण उसके ध्वस्त होकर नदी में समा जाने की आशंका है।

विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि तटबंध के भीतर स्थित स्कूल हर साल बाढ़ और कटाव के खतरे में रहते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है और वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। HM शशिभूषण चौधरी ने सरकार से मांग की है कि ऐसे विद्यालयों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, ताकि कटाव और विस्थापन की स्थिति में भी बच्चों की शिक्षा सुचारु रूप से जारी रह सके।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कोसी के जलस्तर में आए इस अप्रत्याशित इजाफे ने पूरे इलाके में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। अगर कटाव की रफ्तार पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो तटबंध के भीतर के और भी कई घर व संस्थान खतरे में आ सकते हैं।

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