



Report: Aman Pathak|Khagaria
खगड़िया जिले के रानी सकरपुरा पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या-01 स्थित प्राथमिक विद्यालय बहलिमचक की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। विद्यालय में पढ़ने वाले 250 से अधिक बच्चे आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह स्थिति शिक्षा के अधिकार और ग्रामीण इलाकों में सरकारी विद्यालयों की हकीकत को उजागर करती है।
प्रधानाध्यापक अरुण कुमार पासवान ने बताया कि विद्यालय में मात्र दो कमरे हैं, जबकि बच्चों की संख्या कई गुना अधिक है। ऐसे में इतने बच्चों को समायोजित करना असंभव हो जाता है। नतीजतन अधिकांश बच्चों को विद्यालय परिसर में जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि भवन की कमी के कारण मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) भी विद्यालय भवन के बाहर बनाया जाता है। बरसात और तेज धूप के दिनों में यह सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है।

विद्यालय में शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। बच्चियों और छोटे बच्चों को सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय शिक्षक राजीव कुमार ने कहा कि विद्यालय की स्थिति बेहद जर्जर है। भवन पुराना और जर्जर होने के साथ ही जगह की कमी से बच्चों की पढ़ाई लगातार बाधित हो रही है। इस कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है और बच्चे पढ़ाई से दूर होते जा रहे हैं।
ग्रामीण अभिभावकों ने भी आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। उनका कहना है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों ने जिला शिक्षा विभाग तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालय बहलिमचक की समस्या पर अविलंब कार्रवाई हो। भवन निर्माण, शौचालय, पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए, ताकि बच्चों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिल सके।