सुपौल में तीन दिवसीय वीर लोरिक महोत्सव का भव्य शुभारम्भ, सांस्कृतिक धरोहर को मिली नई ऊर्जा

News Desk Supaul:

सुपौल जिले के हरदी दुर्गास्थान में बुधवार की देर संध्या तीन दिवसीय वीर लोरिक महोत्सव का भव्य शुभारम्भ हुआ। कला संस्कृति विभाग के सौजन्य से जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक पर्व का उद्घाटन पिपरा विधायक रामविलास कामत, त्रिवेणीगंज विधायक सोनम सरदार, एमएलसी अजय कुमार सिंह, जिलाधिकारी सावन कुमार तथा पुलिस अधीक्षक आरएस शरथ ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर मंच से अतिथियों ने वीर लोरिक की गाथा और स्थानीय लोकसंस्कृति के महत्व को रेखांकित किया।

स्टॉलों का निरीक्षण, व्यवस्थाओं की सराहना

उद्घाटन के बाद सभी अतिथियों ने महोत्सव परिसर में लगाए गए विभिन्न थीम-आधारित स्टॉलों का निरीक्षण किया। पारंपरिक कला, स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प, ग्राम्य संस्कृति और क्षेत्रीय भोजन से सजे इन स्टॉलों को देखकर जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों ने आयोजन की सराहना की। कार्यक्रम उपरांत जिलाधिकारी सुपौल ने वीर लोरिक धाम परिसर का अलग से निरीक्षण किया और आयोजन की सभी व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

सांस्कृतिक झलकियों से सजा पहला दिन

वीरता, लोकपरंपरा और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे कार्यक्रम हैं। उद्घाटन के साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, लोकगायन तथा पारंपरिक लोकनृत्यों का सिलसिला शुरू हो गया। स्थानीय और क्षेत्रीय कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर वीर लोरिक की गाथा से जुड़ी प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को और भी भव्य बना दिया।

जनता की उत्साहपूर्ण सहभागिता

महोत्सव के पहले दिन ही बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया। परिवार, युवा और बुजुर्ग सभी उत्साह के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते दिखाई दिए, जिससे पूरे परिसर में उल्लास और लोकसंस्कृति की खुशबू फैल गई।

आने वाले दो दिन और भी रोचक

महोत्सव में अगले दो दिनों तक और भी कई सांस्कृतिक व पारंपरिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनमें लोकगीत, लोकनृत्य, नाटक, तथा वीर लोरिक की ऐतिहासिक कथाओं पर आधारित मंचन शामिल है।

यह महोत्सव न केवल सुपौल की सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम दे रहा है, बल्कि स्थानीय कलाकारों, लोकपरंपराओं और सामाजिक सामंजस्य को भी मजबूती प्रदान कर रहा है।

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