सुपौल : कोर्ट के आदेश पर सिमराही में जमीन से अवैध कब्जा हटाया गया, प्रशासनिक टीम पर पथराव, विरोध के बीच चली कार्रवाई

News Desk Supaul:

सुपौल जिले के नगर पंचायत सिमराही वार्ड संख्या-3 में रविवार को उस समय तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई, जब कोर्ट के आदेश पर प्रशासन अवैध अतिक्रमण हटाने पहुंचा। मजिस्ट्रेट की निगरानी में अंचल अधिकारी, थानाध्यक्ष और भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी में रैयत की भूमि पर जबरन रह रहे महादलित परिवारों को हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान प्रशासन को कड़े विरोध और पथराव का भी सामना करना पड़ा।

बता दें कि यह मामला जमीन मालिक मो अख्तर की भूमि से जुड़ा है। भूमि विवाद को लेकर मो अख्तर द्वारा दायर वाद में वीरपुर कोर्ट ने अतिक्रमित जमीन को खाली कराने का आदेश दिया था। न्यायालय के निर्देश के आलोक में रविवार को मजिस्ट्रेट की तैनाती में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। कोर्ट से गठित तीन सदस्यीय टीम में एक नाजिर और दो प्रोसेस सर्वर शामिल थे, जो पूरी कार्यवाही के दौरान मौके पर मौजूद रहे।

कार्रवाई के दौरान बुलडोजर के माध्यम से अतिक्रमित जमीन पर बनी संरचनाओं को हटाया जाने लगा। इसी क्रम में अतिक्रमणकारियों ने प्रशासन का विरोध शुरू कर दिया और देखते ही देखते स्थिति उग्र हो गई। उग्र भीड़ में कुछ लोगों ने पुलिस बल पर ईंट-पत्थर भी फेंके। हालात बिगड़ते देख पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और लाठीचार्ज भी किया गया। मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए, जिससे कुछ समय के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

प्रशासनिक टीम के लौटने के बाद महादलित समुदाय के लोगों ने NH 106 पर आगजनी कर प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिससे कुछ देर के लिए यातायात बाधित रहा।

मामले की जानकारी देते हुए मजिस्ट्रेट सह बसंतपुर अंचल अधिकारी हेमंत अंकुर ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस बल की मौजूदगी में कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि अमली मुशहर, बद्री मुशहर, श्यामल मुशहर सहित कुल 12 लोगों द्वारा मो. अख्तर की भूमि पर किए गए अवैध कब्जे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अतिक्रमण हटाने के दौरान कुछ लोगों द्वारा पथराव किया गया, लेकिन फिलहाल स्थिति पूरी तरह सामान्य है। पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी और आगे की कार्रवाई कोर्ट के निर्देशानुसार की जाएगी।

वहीं जमीन मालिक मो अख्तर ने बताया कि यह जमीन उनकी मरोसी संपत्ति है, जो उनके दादा के नाम से दर्ज थी। वर्ष 2007 में उनके दादा ने यह जमीन उन्हें दान में दे दी थी, जिसके बाद वे इसके वैध स्वामी बने। आरोप है कि वर्ष 2007 में कुछ लोगों ने गुट बनाकर उनकी जमीन पर बांस का खूंटा गाड़ दिया और बाद में 2011 में वहां जबरन घर बना लिया। उन्होंने बताया कि संबंधित लोगों को उनके स्वयं के जमीन पर पहले ही इंदिरा आवास योजना का लाभ मिल चुका है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में टाइटल सूट दायर किया था, जिसमें वर्ष 2018 में वीरपुर कोर्ट से उनके पक्ष में डिग्री हुई। इसके बाद दखल-दिहानी का मामला भी दर्ज कराया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले 19 अक्टूबर को भी प्रशासन जमीन खाली कराने पहुंचा था, लेकिन तब कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। इस बार भी कुल 3 कट्ठा 13 धुर जमीन में से केवल एक घर आंशिक रूप से हटाया जा सका है, जबकि दो घर अभी भी खाली कराना शेष है।

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