न्यूज डेस्क सुपौल:
मधेपुरा विश्वविद्यालय में परीक्षाओं में कदाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन गुरुवार को जिले के राघोपुर प्रखंड के केएन डिग्री कॉलेज में हुई परीक्षा ने एक बार फिर से इस बदनामी पर मोहर लगा दी। परीक्षा केंद्र पर गाइड, गैस पेपर और चीट के सहारे उत्तर लिखते छात्र-छात्राएं खुलेआम देखे गए, लेकिन परीक्षा कक्ष में मौजूद वीक्षक मूकदर्शक बने रहे।
खुलेआम नकल, कोई रोकने वाला नहीं
इस परीक्षा केंद्र पर ललित नारायण मिश्र स्मारक महाविद्यालय, बीरपुर के स्नातक तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा चल रही थी। परीक्षा के सातवें दिन, गुरुवार को साहित्य विषय की परीक्षा थी, जिसमें दूसरे पाली के दौरान परीक्षार्थी बिना किसी भय के किताबें, गाइड और चीट का उपयोग कर रहे थे।
मीडिया टीम जब दोपहर करीब ढाई बजे परीक्षा केंद्र की वास्तविकता को देखने पहुंची, तो हर परीक्षा कक्ष में परीक्षार्थी बेखौफ होकर खुलेआम नकल करते नजर आए। कई छात्र-छात्राएं किताबें और नोट्स लेकर उत्तर लिख रहे थे, जबकि वीक्षक किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं कर रहे थे।
मीडिया के पहुंचते ही मचा हड़कंप
जैसे ही मीडिया कर्मियों ने इस परीक्षा में हो रही धांधली को कैमरे में कैद करना शुरू किया, केंद्र में अफरा-तफरी मच गई। वीक्षक, जो अब तक मूकदर्शक बने हुए थे, अचानक सक्रिय हो गए और छात्रों को फटकारने लगे। परीक्षा केंद्र में चारों ओर भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, और छात्र-छात्राएं जल्दी-जल्दी अपने गाइड और चीट छिपाने लगे।
प्राचार्य का चौंकाने वाला बयान
जब इस मामले में केएन डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रमोद खिरहरी से सवाल किया गया तो उनका बयान और भी चौंकाने वाला निकला। उन्होंने नकल के इस खुलेआम चल रहे खेल को सही ठहराने की कोशिश करते हुए कहा कि “छात्र-छात्राओं को पढ़ने का समय नहीं मिला, क्योंकि एडमिशन और फॉर्म भरने की प्रक्रिया एक साथ पूरी की गई थी।”
इतना ही नहीं, उन्होंने मीडिया की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “अगर पहले प्राचार्य कक्ष में आकर हमसे बात करके कक्ष में जाते तो सम्मान होता और छात्र-छात्राएं आपके सामने नकल नहीं करते।”
बिहार की परीक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। मधेपुरा विश्वविद्यालय में परीक्षाओं में धांधली के मामले लगातार सामने आते रहे हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बिहार की परीक्षा प्रणाली में सुधार अभी भी एक दूर का सपना बना हुआ है। जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए कड़े फैसले और ठोस कार्रवाई नहीं करते, तब तक राज्य की शिक्षा व्यवस्था इसी तरह कलंकित होती रहेगी।