



News Desk:
चीन के तियानजिन शहर में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुँचे। वे 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस यात्रा को मौजूदा वैश्विक परिदृश्य और भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया तनाव के बीच बेहद अहम माना जा रहा है।
अमेरिका से बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ समय से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में ऊँचे टैरिफ के कारण खिंचाव देखने को मिला है। 27 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त 25% ‘पेनल्टी टैरिफ़’ लगाया, जिससे कुल टैरिफ़ 50% तक पहुँच गया। इसे लेकर भारत पर दबाव बढ़ा है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है कि छोटे कारोबारियों, किसानों और पशुपालकों के हितों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और भारत किसी भी बाहरी दबाव का डटकर सामना करेगा।
चीन का दृष्टिकोण
चीनी मीडिया इस दौरे को भारत-चीन रिश्तों में नई गति लाने की कोशिश के रूप में देख रहा है। चीन के सरकारी अख़बार चाइना डेली ने लिखा कि अमेरिका की एकतरफा टैरिफ नीतियों और मुक्त व्यापार पर बढ़ते दबाव के बीच भारत के लिए चीन के साथ सहयोग अहम हो जाता है। अखबार का कहना है कि भारत को चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि एक साझेदार के रूप में देखना चाहिए।
हांगकांग बेपटिस्ट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर अर्जुन चटर्जी के अनुसार, तियानजिन शिखर सम्मेलन में कनेक्टिविटी, लोगों के आदान-प्रदान, गैर-कृषि व्यापार और पर्यावरणीय साझेदारी जैसे विषयों पर समझौते से दोनों देशों के बीच व्यावहारिक सहयोग बढ़ सकता है।
संतुलन साधने की कोशिश
राष्ट्रवादी रुझान वाली चीनी वेबसाइट गुआंचा ने लिखा कि भारत चीन के साथ संबंध सुधारकर अमेरिका के साथ अपनी सौदेबाज़ी की क्षमता मज़बूत करना चाहता है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी पिछले वर्ष से ही अमेरिका की ओर झुकी हुई नीति को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत एक ओर SCO का सदस्य है, तो दूसरी ओर क्वाड जैसे गुट में भी शामिल है। ऐसे में भारत किसी एक ध्रुव पर टिके रहने की बजाय रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने की नीति पर चल रहा है।
भारत-चीन रिश्तों का नया मोड़
पिछले पाँच वर्षों में भारत और चीन के रिश्तों में कई बार तनाव देखने को मिला है, लेकिन हाल के दिनों में दोनों देशों ने संवाद और सहयोग की राह अपनाने के संकेत दिए हैं। चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भी इस बात पर जोर दिया है कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत-चीन सहयोग दोनों देशों के लिए लाभकारी हो सकता है।