



न्यूज डेस्क पटना:
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा नेताओं के खिलाफ आरोपों की तीसरी किश्त पेश की। इस बार उनका निशाना सीधे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय रहे। पीके ने दस्तावेजों के साथ कई गंभीर खुलासे किए, जिनमें रिश्वत लेकर फ्लैट खरीद, एंबुलेंस की खरीद में अनियमितता और आयुष्मान कार्ड योजना में फर्जीवाड़े के आरोप शामिल हैं।
फ्लैट खरीद में रिश्वत का आरोप
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि वर्ष 2019 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और मंगल पांडेय की सांठगांठ से किशनगंज के एमजीएम मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया गया। इसके एवज में दिलीप जायसवाल के खाते से 25 लाख रुपये मंगल पांडेय के पिता अवधेश पांडेय के खाते में ट्रांसफर किए गए। यह रकम बाद में मंगल पांडेय की पत्नी उर्मिला पांडेय के नाम पर दिल्ली के द्वारका इलाके में 86 लाख रुपये की कीमत वाला फ्लैट खरीदने में लगाई गई। पीके ने कहा कि यह रकम 6 अगस्त 2019 को आरटीजीएस के जरिए भेजी गई और फ्लैट की खरीद प्रक्रिया में दिलीप जायसवाल गवाह भी बने। उन्होंने आरोप लगाया कि 2020 में दिए गए चुनावी हलफनामे में मंगल पांडेय ने इस ‘लोन’ का जिक्र तक नहीं किया।
एमजीएम कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा
पीके ने बताया कि 20 वर्षों तक एमजीएम मेडिकल कॉलेज बीएन मंडल यूनिवर्सिटी से डिग्री देता था, लेकिन 2019 के बाद इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया। यह परिवर्तन उसी समय हुआ जब कथित तौर पर उक्त वित्तीय लेन-देन हुआ।
एंबुलेंस खरीद में गड़बड़ी का आरोप
प्रशांत किशोर ने दूसरा गंभीर आरोप एंबुलेंस खरीद को लेकर लगाया। उन्होंने कहा कि 2022 में बिहार सरकार ने 1000 एंबुलेंस खरीदने के लिए टेंडर जारी किया, जिसमें 466 टाइप सी एंबुलेंस 19.58 लाख रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से फोर्स मोटर्स से खरीदी गईं। वहीं 2025 में 250 एंबुलेंस की खरीद 27 लाख रुपये प्रति यूनिट में की गई, वो भी फोर्स मोटर्स से। पीके ने कहा कि इससे पहले टाटा मोटर्स की कम कीमत वाली बोली को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि ड्राइवर के हिस्से में एसी नहीं चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि bulk खरीद में कीमत कम होनी चाहिए थी, लेकिन यहां कीमत बढ़ा दी गई। जबकि ओडिशा और यूपी सरकार ने इन्हीं एंबुलेंस को कम दाम पर खरीदा।
अधिकारियों पर भी सवाल
पीके ने कहा कि एंबुलेंस खरीद के समय प्रत्यय अमृत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव थे और अब वे बिहार के अगले मुख्य सचिव बनने वाले हैं। ऐसे में उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि पहले 12-13 लाख रुपये की कीमत वाली एंबुलेंस को 19 लाख में और फिर 27 लाख में क्यों खरीदा गया। उन्होंने चेतावनी दी कि अधिकारियों को याद रखना चाहिए कि फाइल पर साइन करने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।
आयुष्मान कार्ड योजना में फर्जीवाड़े का आरोप
पीके ने यह भी आरोप लगाया कि किशनगंज के एमजीएम कॉलेज में आयुष्मान कार्ड बनाने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि इस योजना का प्रभारी वही व्यक्ति है, जो पहले मंगल पांडेय के निजी सचिव रह चुका है।
भाजपा के आरोपों पर पलटवार
भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए पीके ने कहा, “सरकार आपकी है, अगर मैंने कोई गलती की है तो केस करके पकड़ लीजिए।” उन्होंने बताया कि ‘बात बिहार की’ फेसबुक पेज वे 2018 से चला रहे हैं, जिस पर 25 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं और 5 करोड़ लोग फोटो-वीडियो देखते हैं। भाजपा के दावे कि यह पेज उनका नहीं, किसी और का है—को उन्होंने खारिज करते हुए कहा कि यह मामला कोर्ट और हाई कोर्ट में है और जल्द फैसला आएगा।