बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही विकास कार्यों में तेजी, दो बड़े फोरलेन हाईवे प्रोजेक्ट को मिली वित्तीय मंजूरी

News Desk Patna:

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही केंद्र सरकार ने राज्य को बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण सौगातें दी हैं। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट हटने के तुरंत बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की दो बड़ी फोरलेन सड़क परियोजनाओं — खगड़िया-पूर्णिया तथा मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-सोनबरसा — को वित्तीय मंजूरी मिल गई है। इन दोनों परियोजनाओं की कुल लंबाई 233 किलोमीटर है और इन पर लगभग 6,000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। लक्ष्य है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही इनके निर्माण कार्य की शुरुआत कर दी जाए।

कैबिनेट से अंतिम मंजूरी जल्द, टेंडर प्रक्रिया होगी शुरू

वित्तीय मंजूरी के बाद अब केंद्र सरकार की उच्चस्तरीय कैबिनेट कमेटी के समक्ष दोनों परियोजनाओं का अंतिम प्रस्ताव भेजा जाएगा। एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार, मंजूरी मिलते ही इन हाईवे प्रोजेक्ट के टेंडर जारी कर दिए जाएंगे, जिससे बिहार में सड़क निर्माण की गति और तेज हो जाएगी।

दोनों सड़कों को बनाया जाएगा फोरलेन

वर्तमान में खगड़िया-पूर्णिया तथा मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी-सोनबरसा सड़कें दो लेन की हैं। इन सड़कों को चौड़ा कर चार लेन में विकसित किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय संपर्क, यात्रा समय और लॉजिस्टिक सुविधाओं में बड़ा सुधार होगा। यह पूर्वी बिहार, कोसी और मिथिला क्षेत्र को बेहतर सड़क नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।

पीपीपीएसी ने दी मंजूरी — अब नहीं अटकेगा रास्ता

दोनों परियोजनाओं को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति (PPPAC) से स्वीकृति मिल चुकी है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली यह कमेटी, किसी भी PPP आधारित राष्ट्रीय परियोजना की वित्तीय स्वीकृति के लिए अनिवार्य होती है। बिहार सरकार ने पहले ही इन दोनों परियोजनाओं का प्रस्ताव भेज दिया था, जिसे अब हरी झंडी मिल गई है। इससे टेंडर प्रक्रिया भी स्पष्ट और तेज हो सकेगी।

दोनों सड़क परियोजनाओं के निर्माण मॉडल

1. खगड़िया–पूर्णिया फोरलेन हाईवे | HAM मॉडल पर निर्माण

इस हाईवे को हाइब्रिड एन्यूटी मोड (HAM) में बनाया जाएगा। इस मॉडल में:

  • निर्माण लागत का 60% हिस्सा निर्माण एजेंसी वहन करेगी।
  • शेष 40% राशि केंद्र सरकार देगी।
  • सड़क तैयार होने के बाद एजेंसी टोल टैक्स के माध्यम से लागत की वसूली करेगी।

यह मॉडल सरकारी और निजी भागीदारी का संतुलित मिश्रण है, जिससे परियोजना जोखिम कम होता है और निर्माण समय पर पूरा होने की संभावना अधिक रहती है।

2. मुजफ्फरपुर–सीतामढ़ी–सोनबरसा फोरलेन हाईवे | BOT मॉडल पर निर्माण

इस सड़क को बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल में बनाया जाएगा। इसमें:

  • पूरी निर्माण लागत निर्माण कंपनी को वहन करनी होगी।
  • केंद्र सरकार निर्माण अवधि के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • सड़क चालू होने के बाद एजेंसी टोल टैक्स से अपनी लागत वसूलेगी।

BOT मॉडल में निर्माण कंपनी निवेश करती है और संचालन व रखरखाव से राजस्व अर्जित करती है।

बिहार के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं ये दोनों हाईवे?

कोसी, सीमांचल व मिथिला क्षेत्र में आवागमन सुगम होगा।

  • भारी वाहनों और वाणिज्यिक परिवहन को तेजी मिलेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
  • दुर्घटना की संभावनाएं कम होंगी और यात्रा समय में बड़ी कमी आएगी।
  • पड़ोसी देशों से जुड़े सोनबरसा बॉर्डर मार्ग को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

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