News Desk Patna:
बिहार में जमीन से जुड़े काम होंगे आसान, दाखिल-खारिज प्रक्रिया को बताया गया जरूरीबिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जमीन से संबंधित कार्यों को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) प्रक्रिया को अनिवार्य बताया गया है।
विभाग के अनुसार, दाखिल-खारिज का अर्थ जमीन के मालिक का नाम सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में बदलना है, जो किसी भी प्रकार के भूमि लेन-देन के बाद जरूरी होता है। जमीन की खरीद-बिक्री, दान, विनिमय या किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके वारिस को जमीन मिलने की स्थिति में दाखिल-खारिज कराना आवश्यक है। इससे सरकारी रिकॉर्ड में सही मालिक का नाम दर्ज होता है और भविष्य में होने वाले विवादों से बचाव होता है।
विभाग ने बताया कि अगर जमीन खरीद-बिक्री, दान या बदले में ली गई है, तो इसके लिए रजिस्टर्ड डीड या इंडेक्स डीड का होना अनिवार्य है। यह दस्तावेज इस बात का प्रमाण होता है कि जमीन का लेन-देन कानूनी रूप से किया गया है।वहीं, जमीन के बंटवारे के मामलों में या तो आपसी सहमति से रजिस्टर्ड बंटवारा डीड या फिर सक्षम न्यायालय के आदेश से किया गया बंटवारा मान्य होगा। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि किस हिस्से पर किस व्यक्ति का अधिकार है।
उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में, यानी किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद वारिस को जमीन मिलने पर, उत्तराधिकार से संबंधित बंटवारा शेड्यूल जरूरी होता है। यदि जमीन इच्छापत्र (Will) के आधार पर मिली है, तो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र भी दाखिल करना होगा। कुछ विशेष मामलों में, जहां जमीन की बिक्री कोर्ट के आदेश से होती है, वहां कोर्ट का आदेश और लगान रसीद जमा करना आवश्यक है। लगान रसीद यह प्रमाणित करती है कि जमीन का राजस्व समय पर अदा किया गया है। इसके अलावा, दाखिल-खारिज के दौरान खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों का आधार कार्ड भी जरूरी दस्तावेजों में शामिल है, ताकि पहचान की सही पुष्टि हो सके।विभाग का कहना है कि






