News Desk Supaul:
बिहार के सुपौल जिले में पकड़े गए फर्जी सिम बॉक्स और अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी से जुड़े हाई-प्रोफाइल मामले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। मामले की गंभीरता और इसके अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को देखते हुए गृह विभाग ने बिहार पुलिस से केस सीबीआई को स्थानांतरित करने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।
अब तक इस मामले की जांच बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) कर रही थी। जांच के दौरान सामने आए तथ्यों से स्पष्ट हुआ कि यह संगठित साइबर अपराध केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार देश-विदेश तक फैले हुए हैं।
यह बिहार का दूसरा बड़ा सिम बॉक्स कांड है, जिसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है। इससे पहले नवंबर माह में भोजपुर जिले के नारायणपुर गांव में पकड़े गए फर्जी सिम बॉक्स मामले की जांच भी सीबीआई को दी गई थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, दोनों मामलों के बीच आपसी कनेक्शन और एक ही अंतरराष्ट्रीय गिरोह की संलिप्तता की आशंका है।
प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इस गिरोह के तार थाईलैंड, कंबोडिया, चीन, वियतनाम और बैंकॉक जैसे देशों में सक्रिय साइबर ठगों से जुड़े हैं। अपराधी अवैध सिम बॉक्स तकनीक का इस्तेमाल कर विदेशों से आने वाली इंटरनेट कॉल (VoIP) को लोकल जीएसएम कॉल में बदल देते थे, जिससे ठगी के दौरान कॉल को ट्रेस करना मुश्किल हो जाता था। जांच में सामने आया है कि इस तकनीक के जरिए प्रतिदिन हजारों फर्जी कॉल किए जा रहे थे।
सुपौल के गौसपुर इलाके से पकड़े गए इस गिरोह का सरगना महज 21 वर्षीय हर्षित कुमार बताया जा रहा है। हर्षित समेत उसके आधा दर्जन साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 8 सिम बॉक्स डिवाइस, सैकड़ों सिम कार्ड, बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड और क्रिप्टो करेंसी से जुड़े डिजिटल सबूत बरामद किए थे। जांच में यह भी सामने आया है कि कम उम्र में ही हर्षित थाईलैंड और बैंकॉक सहित कई देशों की यात्रा कर चुका है, जिससे उसके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की पुष्टि होती है।
ईओयू की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इस सिम बॉक्स गिरोह का नेटवर्क बिहार के अलावा झारखंड, कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों तक फैला हुआ है। इसी अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय विस्तार को देखते हुए बिहार पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सीबीआई जांच का प्रस्ताव भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।
सीबीआई द्वारा जांच संभाले जाने के बाद अब इस बात की उम्मीद की जा रही है कि अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क, विदेशी फंडिंग और क्रिप्टो लेन-देन से जुड़े पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया जा सकेगा। यह मामला देश की साइबर सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।







