पटना मेट्रो: 15 अगस्त से शुरू हो सकता है संचालन, डिपो में जारी है ट्रायल रन, इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य अंतिम चरण में

न्यूज डेस्क पटना:

राजधानी पटना में मेट्रो सेवा शुरू होने का सपना अब साकार होने की ओर बढ़ रहा है। प्राथमिक कॉरिडोर पर 15 अगस्त 2025 से मेट्रो परिचालन शुरू करने की तैयारी तेज़ कर दी गई है। इस उद्देश्य से पुणे से निर्मित तीन कोच वाली मेट्रो की पहली रैक को 20 जुलाई को पटना लाया गया है। यह रैक टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है, जो पुणे मेट्रो कोच निर्माण का कार्य भी कर रही है।

डिपो में ट्रायल रन जारी, तकनीकी जांच में कोई खामी नहीं

मेट्रो रैक को फिलहाल पटना स्थित डिपो में बैटरी से चलने वाले छोटे इंजन की मदद से सुबह और शाम परीक्षण के लिए चलाया जा रहा है। तकनीकी टीम लगातार कोच की जाँच-पड़ताल में लगी है ताकि किसी प्रकार की खामी सामने न आए। अब तक किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी सामने नहीं आई है, जिससे अधिकारियों को उम्मीद है कि आगे की प्रक्रियाएं सुचारु रूप से पूरी हो सकेंगी। हालांकि बीते दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण ट्रायल रन की प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो गई है। लेकिन मौसम में सुधार होते ही ट्रायल रन को नियमित गति से आगे बढ़ाया जाएगा।

न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल स्टेशन से भूतनाथ तक संभावित प्रारंभिक संचालन

पटना मेट्रो के प्राथमिक कॉरिडोर में न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल स्टेशन, जीरो माइल, भूतनाथ, खेमनीचक और मलाही पकड़ी स्टेशन शामिल हैं। यदि सभी तकनीकी और आधारभूत ढांचे संबंधी कार्य समय पर पूरे हो जाते हैं, तो 15 अगस्त को मेट्रो सेवा न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल से शुरू होकर जीरो माइल होते हुए भूतनाथ स्टेशन तक शुरू की जा सकती है।

अंतिम चरण में बिजली आपूर्ति और कनेक्टिविटी कार्य

सूत्रों के अनुसार, डिपो से मेट्रो स्टेशन को जोड़ने वाली लाइन पर अभी कुछ कार्य शेष है। इसके साथ ही, ट्रैक पर बिजली आपूर्ति का कार्य भी तेजी से चल रहा है। इन दोनों कार्यों के पूरा होने के बाद मेट्रो रैक को इलेक्ट्रिक पॉवर से ट्रैक पर दौड़ाया जाएगा और पूर्ण स्तर पर ट्रायल रन शुरू होगा। यही ट्रायल मेट्रो संचालन की अंतिम स्वीकृति के लिए अहम होगा।

एक कोच में 300 यात्रियों की क्षमता

हर मेट्रो कोच की क्षमता लगभग 300 यात्रियों की होगी, जिसमें से 50 से 55 यात्री बैठ सकेंगे, जबकि बाकी यात्री खड़े होकर सफर कर सकेंगे। यह क्षमता शहरी भीड़भाड़ को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है।

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