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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा कदम उठाते हुए उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन को एनडीए उम्मीदवार घोषित कर दिया है। 16 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ने वाले राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। उनके उपराष्ट्रपति बनने के साथ ही भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जाएगा, जब देश के शीर्ष पदों पर संघ के स्वयंसेवकों की मजबूत उपस्थिति दर्ज होगी।
लाल किले से संघ का जिक्र और राजनीतिक संदेश
79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब RSS का जिक्र किया था, तब राजनीतिक प्रेक्षकों के साथ संघ से जुड़े लोग भी हैरान थे। अब उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर संघ को ऐतिहासिक सम्मान दिया है।
खुद नरेंद्र मोदी का शुरुआती राजनीतिक सफर भी संघ से जुड़ा रहा है। संघ से जुड़े रहने के बाद उन्होंने बीजेपी संगठन में काम किया और फिर सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। बतौर प्रधानमंत्री तीसरे कार्यकाल में वे लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिन्हें संघ को समर्पित ‘गुरु दक्षिणा’ माना जा रहा है।
शीर्ष पदों पर संघ की मजबूत पकड़
आज की तारीख में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी संघ परिवार से निकले हैं। नितिन गडकरी भी लंबे समय से संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। अब राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने पर यह सूची और मजबूत होगी। राधाकृष्णन इस पद पर पहुंचने वाले संघ के दूसरे प्रतिनिधि होंगे। उनसे पहले वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति रह चुके हैं, जबकि भैरों सिंह शेखावत जनसंघ से सीधे राजनीति में आए थे।
संघ के शताब्दी वर्ष से पहले बड़ी उपलब्धि
संघ अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है और यह जश्न विजयदशमी से शुरू होगा। इस अवसर पर नागपुर में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। इसके बाद नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक देशभर में संघ साहित्य वितरण और “हर गांव, हर बस्ती अभियान” के जरिए बड़े स्तर पर कार्यक्रम होंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजयदशमी से पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव पूरा होना और राधाकृष्णन की ताजपोशी, संघ के शताब्दी वर्ष के जश्न को ऐतिहासिक बना देगी।