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काठमांडू से शुरू हुआ नेपाल का छात्र-युवा आंदोलन अब बड़े उग्र रूप में सामने आ रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और लगातार बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार को देशभर में विरोध तेज हो गया। राजधानी काठमांडू के बाद आंदोलन की लपटें सीमावर्ती शहर वीरगंज, कलेया, गौर, रौतहट और जनकपुर तक फैल गईं।
प्रदर्शनकारियों ने समूह में राष्ट्रीय झंडा लेकर सड़कों पर मार्च किया और राष्ट्रगीत गाते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। बड़ी संख्या में छात्र, युवा और सोशल मीडिया से जुड़े लोग इस आंदोलन में शामिल हो गए। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, स्थिति नियंत्रण से बाहर होती चली गई। इस दौरान नेपाल पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत हो गई। झड़प इतनी हिंसक हो गई कि गोलीबारी तक करनी पड़ी। इसमें अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और कई प्रदर्शनकारी तथा सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं।
हालात बिगड़ते देख नेपाल सरकार ने सेना की तैनाती कर दी है। कर्फ्यू जैसी सख्ती कई जगहों पर लागू कर दी गई है और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित कर दी गई हैं।
सीमा पर भारत ने बढ़ाई सतर्कता
नेपाल में आंदोलन के उग्र रूप को देखते हुए भारत ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। बिहार के सात सीमावर्ती जिले — पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, सुपौल, पूर्वी चंपारण और किशनगंज — में चौकसी बढ़ा दी गई है। सीमा को एहतियातन सील कर दिया गया है और सीमा पार करने वाले हर व्यक्ति की गहन जांच की जा रही है।
अररिया के पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार ने बताया कि सीमा पर तैनात पुलिस और एसएसबी जवानों को किसी भी आपात स्थिति के लिए सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। सीमावर्ती थाना क्षेत्रों में गश्त और निगरानी बढ़ाई गई है।
वहीं, एसएसबी की 52वीं बटालियन के कमांडेंट महेंद्र प्रताप ने कहा कि “वर्तमान में सीमा पर शांति है, लेकिन सुरक्षाबल पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं। हर गतिविधि पर करीबी नजर रखी जा रही है और स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा गया है।”
नेपाल में इस आंदोलन के और भड़कने की आशंका जताई जा रही है, जबकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सीमा पार किसी भी असर को रोकने के लिए पूरी तरह चौकस हैं।