रिपोर्ट: राहुल पराशर|अररिया
एसएसबी 52वीं वाहिनी और कृषि विज्ञान केंद्र के साझा नागरिक कल्याण कार्यक्रम के तहत तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण मंगलवार को शुरू किया गया। यह प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र में ही सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिया जा रहा है। मुख्य अतिथि एसएसबी 52वी वाहिनी के कमांडेंट महेंद्र प्रताप, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एवं केंद्र के प्रधान विनोद कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण में सीमावर्ती क्षेत्र के कुल 30 महिलाएं एवं पुरुष भाग ले रहे हैं।
मौके पर एसएसबी कमांडेंट महेन्द्र प्रताप ने बताया कि एसएसबी द्वारा समय समय पर सीमावर्ती लोगों को इस प्रकार के प्रशिक्षण देने का कार्य किया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य है कि बेरोजगार सीमावर्ती ग्रामीणों को स्वरोजगार की ओर अग्रसर किया जाना है। आत्मनिर्भर बनकर बेरोजगार अपने परिजनों का भरण पोषण कर सके। ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कमांडेंट ने कहा कि मधुमक्खी पालन एक सरल तकनीक है, जो कि गरीबी दूर करने के लिए उपयुक्त व्यवसाय है। यह गरीब, भूमिहीन व छोटे किसानों, बेरोजगार युवको के लिए आजीविका का अच्छा साधन है। शारीरिक शक्ति कम लगने के कारण महिलाएं भी इस व्यवसाय को आसानी से कर सकती है। शहद के अलावा मधुमक्खी मोम, मधुमक्खी गोंद से भी धन कमाया जा सकता है।
इस मौके पर डॉ संजीत कुमार, डॉ अजय कुमार मौर्य, पी एन सिंह, सुरेंद्र कुमार, जगत नारायण सिंह सहित अन्य जवान मौजूद थे।