सिर्फ हरियाली तीज पर बनते हैं… ये दूध-मलाई वाले घेवर, हलवाई की हो रही लाखों में कमाई

राहुल मनोहर/सीकर. त्योहार आते ही बाजार सजने लगते हैं. वहीं मिठाइयों की दुकानों पर तरह-तरह की मिठाइयां भी बनती हैं. अलग-अलग त्योहार पर अलग-अलग मिठाइयों का महत्व होता है. हरियाली तीज का पर्व नजदीक है. यह त्योहार महिलाओं के लिए विशेष माना जाता है. हरियाली तीज पर घेवर का प्रचलन पुराना है. हर क्षेत्र में घेवर बनाने के अलग-अलग तरीके होते हैं. कोई मीठी चाशनी में घेवर बनता है तो कोई दूध से तो कोई मेवे से बनाता है.

सीकर के दांतारामगढ़ इलाके में हलवाई बिहारी लाल सैनी हरियाली तीज पर विशेष प्रकार के घेवर बनाते हैं. वह तीज के समय में घेवर बनाकर एक बार में ही लाखों रुपए कमा रहे हैं. बिहारी लाल अब तक 20 दिन में ही 2 लाख रुपये के घेवर बेच चुके हैं. हलवाई बिहारी लाल सैनी द्वारा बनाए गए घेवर क्षेत्र के आसपास के मिठाई की दुकानों पर भी सप्लाई किए जाते हैं. यही नहीं, सीकर के बारह भी इनकी डिमांड है.

बिहारी लाल सैनी ने बताया कि हरियाली तीज के 1 महीने पहले से ही वह और उनकी टीम घेवर बनाने का काम शुरू कर देती है. दुकानों और लोगों की डिमांड के अनुसार वह रोजाना घेवर तैयार करते हैं. किसी विशेष प्रकार के उत्सव के लिए भी घेवर तैयार किए जाते हैं. बिहारी लाल के अनुसार एक दिन में वह लगभग 50 किलो से अधिक घेवर बनाते हैं.

जयपुर में बनने वाले घेवर बनाते यहां
बिहारी लाल सैनी ने बताया कि जयपुर जैसे बड़े शहरों में बनने वाले मावा घेवर व मिश्री घेवर भी उनकी टीम द्वारा बनाए जाते हैं. इन घेवर को बनाने के लिए विशेष प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है. बिहारी लाल सामान्य घेवर के अलावा विशेष प्रकार के घेवर बनाने के लिए पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं. इस हलवाई द्वारा बनाए गए मलाई घेवर की विशेष डिमांड रहती है. मावा, मिश्री व मलाई घेवर की सप्लाई पूरे जिले में की जाती है.

तीज के समय में दूध के घेवर की ज्यादा डिमांड
हलवाई बिहारी लाल सैनी ने बताया कि हरियाली तीज के 5 दिन पहले से ही घेवर की डिमांड बढ़ने लग जाती है. इस समय सबसे ज्यादा दूध के घेवर बिकते हैं. यह घेवर सस्ते और खाने में स्वादिष्ट होते हैं. इस कारण लोग ज्यादातर दूध के घेवर को पसंद करते हैं. दूध के घेवर के साथ-साथ चाशनी के घेवर भी लोगों को पसंद हैं. हालांकि, चाशनी के घेवर की डिमांड तीज के दिन ही रहती है. शगुन के तौर पर चाशनी घेवर जरूर लिए जाते हैं. नव विवाहित महिलाएं चाशनी के घेवर का ही भोग लगाती हैं.

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