रिपोर्ट: अमरेश कुमार|सुपौल
जिलेभर में गुरुवार को वट वृक्ष के पास अखंड सुहागिन महिलाएं ने अपने पति की लंबी आयु को लेकर विधि-पूर्वक वटवृक्ष की पूजा अर्चना की और वट सावित्री की कथा सुनी। इस दौरान सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए पति दांपत्य जीवन खुशहाल रहने और अखंड सुहागिन रहने की कामना की।
बताते चलें कि सनातन धर्म में हिंदू मान्यता के अनुसार वट सावित्री के दिन वटवृक्ष की पूजा करने का तात्पर्य यमराज की पूजा करना होता है। और यमराज देव को प्रसन्न करना होता है। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए व्रत करती है। वटवृक्ष का पूजन खासकर ज्येष्ठ मांस की अमावस के दिन सुहागिन महिलाएं सावित्री का व्रत करती है। सनातन धर्म के अनुसार शास्त्रों में कई वर्णन मिलता है। वटवृक्ष यानी बरगद का वृक्ष हिंदू धर्म में बहुत ही पूजनीय माना जाता है हिंदू शास्त्र के अनुसार वटवृक्ष में त्रिदेवों का वास होता है। बरगद को शिव जी का प्रतीक माना जाता है। इसी को लेकर सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष का पूजन करते समय, वटवृक्ष के कच्चा सूत से वटवृक्ष का सात फेरे लगाती हैं और सावित्री व्रत विधिपूर्वक पूजन कर कथा सुनती है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है। यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान का प्राण हर लिए थे तब सावित्री ने अपने पति प्राण लौटाने के लिए वट वृक्ष, के निचे बैठ कर, यमराज से प्रार्थना की थी। तब यमराज ने सावित्री के पति का प्राण लौटा कर, सत्यवती सावित्री को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया था और यमराज ने सत्यवान का प्राण बरगद के जड़ में जकड़कर रखा हुआ था। इसी लिए तब से वट वृक्ष का पूजा सुहागिन महिलाएं बहुत ही विधि-पूर्वक करती आ रही हैं। इस दौरान ग्रामीण इलाकों में भी वट सावित्री पूजा अर्चना को काफी सुहागिन महिलाओं की भीड़ देखी गई।