न्यूज डेस्क सुपौल:
सुपौल जिले के राघोपुर थाना क्षेत्र के सिमराही बाजार में सोमवार को प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया। इस दौरान एनएच 106 और एनएच 27 पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। अभियान का नेतृत्व बीडीओ ओम प्रकाश, सीओ रश्मि प्रिया, थानाध्यक्ष नवीन कुमार और एनएचएआई के अधिकारियों ने किया। मौके पर राघोपुर थाना और जिला पुलिस बल के जवान भी तैनात थे।
अभियान से पहले दी गई थी चेतावनी
अतिक्रमण हटाने के अभियान को लेकर दो दिन पहले अंचलाधिकारी ने लाउडस्पीकर के जरिए सार्वजनिक घोषणा कर लोगों को अपने अतिक्रमण स्वेच्छा से हटाने का निर्देश दिया था। साथ ही यह अल्टीमेटम भी दिया गया था कि यदि तय समय तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन स्वयं कार्रवाई करेगा।
कुछ ने अतिक्रमण हटाया, कुछ ने किया अनदेखा
प्रशासन की चेतावनी के बाद कुछ अतिक्रमणकारियों ने अपने कब्जे को समय रहते हटा लिया, जबकि अन्य ने इसे अनदेखा कर दिया। नतीजतन, सोमवार को प्रशासन ने बुलडोजर के माध्यम से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की।
फुटकर विक्रेताओं की गुमटियां तोड़ी गईं
अभियान के तहत जेपी चौक के पास सड़कों पर लगी सभी फुटकर दुकानों और गुमटियों को हटाया गया। नगर पंचायत के सफाई कर्मियों की मदद से सड़क पर फैले मलबे को भी तुरंत साफ किया गया। इसके अलावा, अधिग्रहित क्षेत्र में स्थित भवनों को भी तोड़ने की कार्रवाई की गई।
लोगों में भुगतान को लेकर गुस्सा
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों का आक्रोश भी सामने आया। सिमराही बाजार के रैयतों का कहना है कि एनएचएआई द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद भी उन्हें अब तक उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। लगभग 73 रैयतों का भुगतान एनएचएआई के पास लंबित है। इनमें से कई रैयतों को एक भी पैसा नहीं मिला है, जबकि कुछ का भुगतान आंशिक रूप से किया गया है।
प्रशासन पर लगाया आरोप
स्थानीय रैयतों ने आरोप लगाया कि प्रशासन बार-बार अतिक्रमण हटाने के नाम पर उनके घर और दुकान तोड़ देता है, लेकिन मुआवजे की प्रक्रिया को पूरा करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। रैयतों का कहना है कि अगर उन्हें उचित भुगतान किया जाता है, तो वे खुद ही जमीन खाली करने को तैयार हैं।
जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से की अपील
लोगों ने जिलाधिकारी सुपौल और मुख्यमंत्री बिहार से अपील की है कि वे एनएचएआई अधिकारियों के साथ मिलकर सिमराही में कैंप लगाएं। इससे संबंधित समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया जाए और लंबित मुआवजे का त्वरित भुगतान सुनिश्चित किया जाए। रैयतों ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।