रिपोर्ट: राहुल पराशर|अररिया
नववर्ष तैयार फारबिसगंज-सहरसा-दरभंगा रेलखंड पर ट्रेन परिचालन की सौगात लेकर आएगी। करीबन 16 वर्षों से इस रेलखंड पर फारबिसगंज से ट्रेन परिचालन पर लगा ग्रहण छंटने की संभावना नए साल में बढ़ी है। नववर्ष में लोकसभा चुनाव भी है। ऐसे में जनवरी माह में ही सीआरएस इंस्पेक्शन के बाद हरी झंडी मिलने के बावजूद ट्रेन परिचालन शुरू नहीं होने लोगों में आक्रोश भी तीव्र है। जिसको लेकर सोशल मीडिया से लेकर जमीन पर भी विभिन्न स्थानों पर आंदोलन चलाया गया। लेकिन सियासत की भेंट चढ़े इस रेलखंड में ट्रेन परिचालन शुरू करने का ग्रहण नव वर्ष 2024 में छट जायेगा।
सीमांचल और मिथिलांचल के लोगों ने सहरसा-फारबिसगंज और दरभंगा-फारबिसगंज रेलखण्ड पर ट्रेन का परिचालन शुरू किए जाने की मांग को लेकर ट्विटर पर 21 हजार से अधिक ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री, रेल मंत्री सहित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के ट्रेन परिचालन को लेकर शिथिल रवैया को झकझोरने का काम किया तो फारबिसगंज, नरपतगंज, राघोपुर विभिन्न स्टेशनों पर आंदोलन किए गए। बावजूद इसके ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं हो पाया। साथ ही रेलवे बोर्ड के द्वारा दो जोड़ी ट्रेन की घोषणा भी कर दी गई। फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड पर 15 वर्षों के बाद और दरभंगा-फारबिसगंज रेलखण्ड पर 89 वर्षों के बाद आमान परिवर्तन कार्य पूर्ण किये जाने के बाद भी परिचालन शुरू नहीं किये जाने से क्षेत्र के लोगों का सब्र का बांध टूटने लगा। लेकिन नववर्ष में इस टूटते सब्र के बांध पर विराम लगने की संभावना प्रबल हो गई है।
उल्लेखनीय है कि इस रूट के अंतिम चरण में नरपतगंज से फारबिसगंज के बीच के आमान परिवर्तन के कार्य का 11 जनवरी 2023 को ही सीआरएस की ओर से निरीक्षण किया गया था। जिसके बाद सीआरएस के द्वारा 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की अनुमति भी दी गयी थी।
इस रेलखण्ड पर परिचालन शुरू करने हेतु पूर्व मध्य रेल के द्वारा सहरसा से ललितग्राम व दरभंगा से झंझारपुर तक चलने वाली डेमू का फारबिसगंज तक विस्तारीकरण, जोगबनी से सहरसा और जोगबनी से दानापुर के लिए नई ट्रेन चलाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड नई दिल्ली को उसी समय भेजा गया। जहां लोगों में सहरसा से फारबिसगंज के बीच 15 वर्षों के बाद परिचालन शुरू होने वाला इंतज़ार है, वहीं इससे दरभंगा से फारबिसगंज रेलखण्ड भी 90 वर्षों के बाद जुड़ जाएगा।