एक माह बाद भी स्कूल में हुई चोरी का मामला नहीं हुआ दर्ज, एचएम लगा रहे शिक्षा विभाग और थाना का चक्कर

रिपोर्ट: अमरेश कुमार|सुपौल

जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय सखुआ के हेडमास्टर करीब एक माह से शिक्षा विभाग और थाने का चक्कर लगा रहे हैं। स्कूल के एचएम ने जहां थानाध्यक्ष से चोरी की एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं, वहीं शिक्षा विभाग से इस दिशा में समुचित पहल की मांग कर रहे हैं। लेकिन एचएम का कोई सुन नहीं रहा है।

दरअसल मामला पिपरा प्रखंड के दीनापट्टी पंचायत के मध्य विद्यालय सखुआ का है। जहां पिछले 14 अप्रैल को स्कूल में भीषण चोरी की घटना घटी, जिसमें चोरों ने स्कूल के कम्प्यूटर लैब से करीब दस कम्प्यूटर सहित उसका सारा सामान चुरा लिया। जिसके बाद इसकी लिखित शिकायत विद्यालय के एचएम सुमन सौरभ ने थाना को दी। बताया गया कि पिपरा थाना से पुलिस आई और मामले की जांच कर चली गई, लेकिन चोरी का मामला दर्ज नहीं हुआ। इधर फिर 12 मई को विद्यालय में फिर चोरी हो गई। इस बार चोरों ने विद्यालय के पंखे और गैस की भट्ठी चुरा लिया। हेडमास्टर ने फिर लिखित आवेदन देकर पिपरा थाना से इसकी शिकायत की। लेकिन इस बार भी चोरी का मामला दर्ज नहीं हुआ। लगातार दो बार स्कूल में चोरी होने के बावजूद चोरी का एफआईआर दर्ज नहीं होने से शिक्षा विभाग भी हैरान है और शिक्षा विभाग के डीपीओ प्रवीण कुमार ने चोरी मामले की विभागीय स्तर से थाना को एक लिखित शिकायत किया। बाबजूद इसके फिर भी चोरी का एफआईआर दर्ज नहीं हुआ है। जिसके चलते विद्यालय के एचएम सुमन सौरभ हैरान हैं। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर की चोरी हो जाने के कारण अब विद्यालय में छात्रों को काफी परेशानी हो रही है। छात्रों का कम्प्यूटर का प्रशिक्षण बंद है। क्योंकि जब तक चोरी का एफआईआर दर्ज नहीं होगा तब तक फिर से कम्प्यूटर आवंटित नहीं होगा। ऐसे में एचएम अब पिपरा थानाध्यक्ष संजय दास से चोरी का एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक चोरी का एफआईआर दर्ज हो पाता है।

हालांकि इस बाबत पिपरा थानाध्यक्ष संजय दास ने बताया कि विद्यालय में कम्प्यूटर चोरी की घटना के शिकायत पर पुलिस द्वारा स्थल की जांच की गई। कमरे का दरवाजा बंद होने की स्थिति में चोरी की घटना नहीं घट सकती है। यह कोई दूसरा मामला प्रतीत हो रहा है।
अब सवाल उठता है कि कम्प्यूटर की चोरी नहीं हुई है तो आखिर कम्प्यूटर गया कहां, ऐसे में विभाग को इसकी अपने स्तर से भी जांच करानी चाहिए।

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