कलश स्थापना के साथ कल आरंभ होगा शारदीय नवरात्रि, जाने कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

रिपोर्ट: नीरज कुमार|करजाईन

शारदीय नवरात्रि इस बार 3 अक्टूबर गुरुवार से आरंभ होकर 12 अक्टूबर शनिवार को यात्रा के साथ संपन्न होगा। इस बार भगवती दुर्गा जी का आगमन दोलारुढाया अर्थात डोली पर होगा, जिसका फल अनेक प्रकार की परेशानी होने की संभावना तथा भगवती दुर्गा जी का प्रस्थान चरणायुद्ध अर्थात मुर्गे पर होगा, उसका भी फल अच्छा नहीं कहा गया है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त समय प्रातः काल सूर्योदय से लेकर दोपहर के 2 बजकर 57 मिनट तक अति विशिष्ट है। पूर्ण विश्वास और श्रद्धा भक्ति के साथ माता की उपासना आराधना करने से समस्त मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस बार 9 पूजा एवं दशम यात्रा का योग है।

नवरात्रि में नवो दिवस की पूजा इस प्रकार से की जाएगी।

3 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ प्रथम दिवस की पूजा आरंभ होगी, 4 अक्टूबर को द्वितीय दिवस को रेमंत पूजा, 9 अक्टूबर को गज पूजा के साथ सायंकाल में बिल्वाभी मंत्रणम (बेलनोती पूजा), 10 अक्टूबर को बेलतोरी, नवपत्रिका प्रवेश, सरस्वती पूजा के साथ साथ मध्य रात्रि में महारात्रि निशापूजा एवं रात्रि जागरण। 11 अक्टूबर को महाष्टमी एवं महानवमी व्रत एक ही दिन तथा दीक्षाग्रहण (मंत्र ग्रहण) त्रिशुलिनी पूजा, बलिदानादि कार्य सम्पादन के साथ साथ हवन कार्य सम्पादन होगा। वहीं 12 अक्टूबर को विजया दशमी, अपराजिता पूजा, देवी विसर्जन, जयंती धारण एवं नवरात्र व्रत का पारन होगा।

आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र

नवरात्र को लेकर मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार भगवान राम ने लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से भगवती जगदंबा दुर्गा जी की आराधना उपासना 9 दिवस तक किया। तत्पश्चात भगवती के आशीर्वाद से रावण पर भगवान राम ने विजय प्राप्त की और हजारों वर्षों तक राजा बनकर प्रतिष्ठित हुए।

उन्होंने कहा कि विधि विधान पूर्वक और नियम निष्ठा भक्ति श्रद्धा के साथ यदि भगवती दुर्गा जी की आराधना किया जाए तो निश्चित ही समस्त मनोवांछित फलों की प्राप्ति कर देती हैं, माता की ऐसी अनुकंपा है।

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