



न्यूज डेस्क सुपौल:
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में पहली ईंट रखने वाले और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता, बिहार के पूर्व एमएलसी कामेश्वर चौपाल का अंतिम संस्कार शनिवार को उनके पैतृक गांव सुपौल जिले के मरौना प्रखंड अंतर्गत कमरैल में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके पुत्र विद्यानंद चौपाल, जो हाजीपुर में बंदोबस्त पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, ने उन्हें मुखाग्नि दी।

उनके निधन की खबर सुनते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए बिहार सरकार के मंत्रियों, भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं, राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। हजारों की संख्या में लोग उनके पैतृक आवास पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे गांव में शोक की लहर थी, और ग्रामीणों ने दुख प्रकट करते हुए बताया कि उनके सम्मान में कई घरों में चूल्हा तक नहीं जला।
कामेश्वर चौपाल का निधन
68 वर्षीय कामेश्वर चौपाल का गुरुवार की रात दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और लंबे समय से इलाजरत थे। उनकी बेटी ने उन्हें किडनी दान भी की थी, लेकिन बावजूद इसके वे स्वास्थ्य लाभ नहीं पा सके।
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह और बिहार सरकार के कई मंत्रियों ने गहरा शोक व्यक्त किया। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने उनके पार्थिव शरीर पर भाजपा का झंडा अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

कामेश्वर चौपाल: एक जीवन परिचय
जन्म: 24 अप्रैल 1956, कमरैल गांव, मरौना प्रखंड, सुपौल, बिहार
राजनीतिक करियर:
2002 से 2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी), 2014 में सुपौल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) में बिहार के प्रांतीय अध्यक्ष, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य।
राम मंदिर आंदोलन:
9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखने का गौरव। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा दिया। कामेश्वर चौपाल का मानना था कि राम मंदिर का निर्माण हिंदू समाज के आत्मसम्मान और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। वे हमेशा कहते थे कि “राम हमारी आस्था के केंद्र हैं और भारत के महानायक हैं।”
अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़
शनिवार सुबह से ही कमरैल गांव में उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल, ऊर्जा एवं योजना मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह “बबलू, उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र, जदयू विधायक अनिरुद्ध यादव, राजद विधायक, चंद्रहास चौपाल, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र ऋषिदेव, जदयू जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद यादव, राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी, इसके अलावा, महावीर मंदिर (पटना) और पूनोरा धाम (सीतामढ़ी) से भी कई संत और श्रद्धालु अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।

“एक युग का अंत”
कामेश्वर चौपाल के निधन पर भाजपा नेताओं ने कहा कि “यह सिर्फ एक नेता का निधन नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।” वे हमेशा समाज के गरीब और दलित वर्ग की आवाज बने रहे। वे अपने गांव और समाज से हमेशा जुड़े रहे और जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे।
उनके निधन पर गांव की महिलाओं और बुजुर्गों ने भावुक होकर कहा कि “वे न केवल एक नेता थे, बल्कि हमारे मार्गदर्शक और संरक्षक भी थे।”
राम मंदिर आंदोलन में योगदान
कामेश्वर चौपाल ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा राम मंदिर आंदोलन को समर्पित किया। वे हमेशा कहते थे कि “यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि हिंदू समाज के आत्मगौरव की पुनर्स्थापना है।”
उनका कहना था कि: “राम जन्मभूमि सत्य है, इसलिए वहां भव्य राम मंदिर बनना ही था।” पहले सरकारें कहती थीं कि राम काल्पनिक हैं, लेकिन मोदी और योगी सरकार ने सिद्ध किया कि राम भारत की आत्मा हैं। “बाबरी मस्जिद नाम गलत था, क्योंकि कोई मस्जिद किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं होती, यह केवल अल्लाह के नाम पर बनाई जाती है।”
कामेश्वर चौपाल के विचार और आदर्श
उन्होंने हमेशा कहा कि राम मंदिर आंदोलन केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास की पुनर्स्थापना का प्रयास था। वे मानते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आंदोलन को साकार किया और टूटे हुए हिंदू मन को फिर से जोड़ा। उनका सपना था कि “भारत में हर नागरिक को उसकी आस्था और संस्कृति के अनुसार जीने का अधिकार मिले।”
श्रद्धांजलि और शोक संदेश
देशभर के नेताओं, संतों और सामाजिक संगठनों ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। उनके समर्थकों का कहना है कि “वे भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी विचारधारा और योगदान हमेशा याद किए जाएंगे।” कामेश्वर चौपाल के निधन से राम मंदिर आंदोलन और हिंदू समाज ने एक महान योद्धा को खो दिया। उनका जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल है, जिसे आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।