राघोपुर की जंग: तेजस्वी बनाम प्रशांत किशोर की संभावित टक्कर से गरमाई बिहार की सियासत

News Desk Vaishali:

बिहार की सियासत में हलचल तब और तेज हो गई जब जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) ने अपने नए राजनीतिक प्लान का खुलासा किया। उन्होंने साफ कहा है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में या तो करगहर या राघोपुर से मैदान में उतरेंगे। इस ऐलान ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि राघोपुर सीट को लालू परिवार का गढ़ माना जाता है और वर्तमान में यहां से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विधायक हैं।

तेजस्वी यादव ने 2015 और 2020 दोनों विधानसभा चुनावों में राघोपुर से जीत दर्ज की थी। इससे पहले इस सीट से उनके पिता और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव तथा मां राबड़ी देवी भी चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, यह सीट पूरी तरह अजेय नहीं है। वर्ष 2010 में जेडीयू उम्मीदवार सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराकर साबित किया था कि अगर समीकरण बिगड़े तो आरजेडी के गढ़ में सेंध लगाई जा सकती है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर प्रशांत किशोर राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं तो यह मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है। वजह यह है कि यहां यादव-मुस्लिम वोटरों का दबदबा है, लेकिन साथ ही राजपूत और ईबीसी वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पीके की रणनीति और उनका सामाजिक जुड़ाव इन गैर-यादव वोटरों को अपने पक्ष में खींच सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राघोपुर सीट पर अब तक जीत का अंतर बड़ा नहीं रहा है। ऐसे में अगर विपक्षी मतों का सही तरह से ध्रुवीकरण हो गया तो तेजस्वी यादव को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

राघोपुर वैशाली जिले में आता है और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसका प्रतिनिधित्व इस समय केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान करते हैं। ऐसे में यह विधानसभा क्षेत्र न केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी महत्व रखता है। प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में उतरने की संभावनाओं ने आरजेडी खेमे की चिंता बढ़ा दी है।

अगर यह मुकाबला हुआ तो यह सिर्फ तेजस्वी बनाम प्रशांत किशोर की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि बिहार की राजनीति का नैरेटिव बदलने वाला बड़ा राजनीतिक संग्राम साबित हो सकता है।

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