सुपौल: राघोपुर में 10 फरवरी से खिलाया जायेगा फाइलेरिया रोधी दवा, दिशा निर्देश जारी

न्यूज़ डेस्क सुपौल:

जिले के रेफरल अस्पताल राघोपुर के द्वारा राघोपुर प्रखंड के सभी पंचायतों में 10 फ़रवरी से फाइलेरिया रोधी दवा खिलाया जाएगा। इसको लेकर गुरुवार को अस्पताल में एक बैठक आयोजित की गई।

जानकारी देते हुए भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी सह राघोपुर अस्पताल प्रभारी डॉ दीप नारायण राम ने बताया कि 10 फ़रवरी से आशा कार्यकर्ता द्वारा बूथ बना कर सभी सरकारी गैर-सरकारी संस्थाएं में दवा खिलाई जाएगी। बताया कि वही 13 फ़रवरी से घर-घर फाइलेरिया से बचाव की दवा पहुंचायेगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया रोधी दवाओं के सही डोज़ के संबंध में एक नया दिशा -निर्देश जारी किया गया है। गाइडलाइन के अनुसार फाइलेरिया से बचाव और रोकथाम के लिए साल में एक बार ही फाइलेरिया रोधी दवाओं अल्बेंडाजोल, डीईसी और का सेवन पर्याप्त है।

इस संबंध में फाइलेरिया के नवनीत कुमार, पीरामल फाउंडेशन के ब्लॉक कोडिनेटर, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक नोमान अहमद, बीसीएम मो शादाब ने उपस्थित सभी आशा कार्यकर्ताओं को दवा खिलाने के सम्बन्ध दिशा निर्देश दिया।

वहीं पीरामल फाउंडेशन ब्लॉक कोडिनेटर नवनीत कुमार ने बताया कि हाथी पांव एवं हाइड्रोसील फाइलेरिया के संक्रमण से होने वाले दुष्प्रभाव हैं। इस तरह के व्यक्तियों को भी साल में एक बार ही भारत सरकार के गाइडलाइन के आधार पर फाइलेरिया रोधी दवाओं अल्बेंडाजोल, डीईसी और अल्बेंडाजोल और डीईसी का सेवन करना पर्याप्त है।

फाइलेरिया रोधी दवाएं के क्या है फायदे और नुकसान और किसे कहना चाहिए आइए जानते है..

फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित है, यह दो साल से छोटे बच्चे गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को दवा नहीं देना है, यह दवा खाली पेट नहीं खानी है, हर पात्र व्यक्ति को अपने सामने ही दवा खिलाना है, अल्बेंडाजोल की दवा चबाकर खाएं, किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 5 से 15 वर्ष तक लग सकते है, फाइलेरिया उन्मूलन के तहत वर्ष में एक बार चरणबद्ध तरीके से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का कार्यक्रम चलाया जाता है,  रक्तचाप, शुगर, अर्थराइटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं, सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।

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