जीवन में कुसंगति से बचें: सदाचरण और धर्म से ही समाज का विकास संभव – गोवर्धन दासाचार्य जी महाराज

न्यूज डेस्क सुपौल:

कुसंग हमारे जीवन को न केवल अस्त-व्यस्त करता है बल्कि उसे पूरी तरह से नष्ट-भ्रष्ट कर सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि कुसंगति का प्रभाव केवल शारीरिक उपस्थिति से ही हो; कभी-कभी यह मात्र देखने और सुनने से भी हमारे जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए हमें सजग रहकर दु:संग से बचना चाहिए। उक्त बातें सिमराही नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक में परमानंद मिश्र के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से आये कथावाचक गोवर्धन दासाचार्य जी महाराज उर्फ गोविंद देव ने आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कहा। 

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महाराज जी ने विशेष रूप से युवाओं और नई पीढ़ी को शिक्षा ग्रहण करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को एक स्वस्थ, सभ्य, और सर्वहितकारी समाज का निर्माण करने के लिए नैतिक शिक्षा की गहराई से आवश्यकता है। यह शिक्षा श्रीमद्भागवत कथा के पात्र भक्त अजामिल की कथा से मिलती है, जो बताती है कि कैसे व्यक्ति जीवन में सही मार्ग पर लौट सकता है, चाहे वह कितने भी गलत रास्ते पर क्यों न चला गया हो।

उन्होंने आगे कहा कि सदाचरण, नैतिकता, और धर्म के मार्ग पर चलने से ही समाज में अनुशासन, चरित्र, और शांति का विकास होता है। धर्म के बिना व्यक्ति न केवल सदाचरण विहीन होता है, बल्कि उसका जीवन अनुशासनहीन और चरित्रहीन हो जाता है। यह एक गंभीर समस्या है, और इसे सुलझाने के लिए धर्म और सदाचरण को अपनाना अनिवार्य है।

मौके पर ललित मिश्र, अरुण मिश्र, विजेंद्र मिश्र, भावानंद मिश्र, राजीव रत्न ठाकुर, सुजीत मिश्र, रंजन मिश्र, अमित मिश्र, विपिन मिश्र, रौशन मिश्र आदि लोग उपस्थित थे।

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