सुपौल शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही: दिवंगत और ट्रांसफर हो चुके शिक्षकों को भेजा नोटिस, शिक्षकों ने ई-शिक्षा पोर्टल की खामियों पर उठाए सवाल

न्यूज डेस्क सुपौल:

सुपौल जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां ई-शिक्षा पोर्टल की खामियों के चलते 1120 शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया है। इन शिक्षकों से उनकी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज न करने को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। हैरानी की बात यह है कि जिन शिक्षकों को यह नोटिस मिला है, उनमें से कई अब इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि कुछ वर्षों पहले ही शिक्षा विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में स्थानांतरित हो चुके हैं।

क्या है पूरा मामला?

ई-शिक्षा पोर्टल के माध्यम से जिले के 1120 शिक्षकों को नोटिस भेजकर यह निर्देश दिया गया कि वे अपनी उपस्थिति दर्ज करने में असफल क्यों हुए, इसका स्पष्टीकरण साक्ष्यों सहित विभागीय कार्यालय में आकर दें। जैसे ही यह मामला सामने आया, पूरे शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।

शिक्षक संघ ने उठाए सवाल

इस घटना के बाद शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सह जिला अध्यक्ष पंकज सिंह ने शिक्षा विभाग की लापरवाही की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ई-शिक्षा पोर्टल पूरी तरह से अधूरा और त्रुटिपूर्ण है, जिसके कारण कई नियमित शिक्षकों की उपस्थिति भी पोर्टल पर दर्ज नहीं हो रही है। उन्होंने विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना सही तरीके से डेटा अपडेट किए ही शिक्षकों को गैरहाजिर मानकर नोटिस जारी कर दिया गया। पंकज सिंह ने यह भी कहा कि इतने बड़े स्तर पर हुई गलती के बावजूद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) राहुल चौधरी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यह न केवल शिक्षकों के प्रति अन्याय है, बल्कि उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला भी है।

शिक्षकों को हो रही परेशानी

जिन शिक्षकों को यह नोटिस मिला, वे बेहद परेशान हैं। दिवंगत शिक्षकों के परिवारवालों और अन्य विभाग में स्थानांतरित हो चुके शिक्षकों के लिए यह एक चौंकाने वाली घटना है। एक शिक्षक, जो वर्षों पहले शिक्षा विभाग से इस्तीफा देकर दूसरे विभाग में जा चुके हैं, उन्हें इस तरह के नोटिस से परेशान किया जा रहा है।

शिक्षा विभाग का बचाव

वहीं, इस पूरे विवाद पर जब जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) राहुल चौधरी से बात की गई, तो उन्होंने इस गलती को स्वीकारते हुए कहा कि ई-शिक्षा पोर्टल को जल्द ही अपडेट किया जाएगा। हालांकि, इस स्पष्टीकरण से शिक्षकों और उनके संघ को संतुष्टि नहीं मिली है।

डिजिटल सुधार या बढ़ती परेशानी?

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल सुधारों के नाम पर लागू किए गए ई-शिक्षा पोर्टल को प्रभावी तरीके से संचालित नहीं किया जा रहा है। अगर विभाग ने समय रहते पोर्टल का सही ढंग से अपडेट और मॉनिटरिंग की होती, तो यह स्थिति नहीं आती। शिक्षक संघ ने इस गलती को गंभीरता से लेते हुए ई-शिक्षा पोर्टल की खामियों को जल्द से जल्द दूर करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं, शिक्षकों का कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे इस मुद्दे को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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