न्यूज डेस्क पटना:
पद्म भूषण से सम्मानित और प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत अचानक खराब हो जाने के बाद उन्हें 26 अक्टूबर, 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया। ताज़ा जानकारी के अनुसार उनकी हालत और भी गंभीर हो गई है, जिसके चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। शारदा सिन्हा का स्वास्थ्य कई दिनों से नाज़ुक बना हुआ था और वे कुछ समय से एम्स में उपचार करा रही थीं।
शारदा सिन्हा की गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा स्वयं एम्स पहुंचे और उनकी स्थिति की जानकारी ली। शनिवार रात को उन्होंने एम्स के अधिकारियों और डॉक्टरों के साथ बैठक की और शारदा सिन्हा के इलाज की समीक्षा की। नड्डा ने एम्स निदेशक और चिकित्सा टीम से उनकी देखभाल के बारे में जानकारी ली और उनके इलाज में किसी भी प्रकार की कमी न आने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, स्वास्थ्य मंत्री ने शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान से भी उनकी मां के स्वास्थ्य के बारे में बात की और उन्हें धैर्य बनाए रखने की सलाह दी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शारदा सिन्हा को पिछले कुछ समय से खानपान में समस्या हो रही थी और इस वजह से उनकी शारीरिक स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। साल 2017 में उन्हें मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का बोन मैरो कैंसर) होने का पता चला था, जिसके कारण उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा है। 26 अक्टूबर की सुबह अचानक उनकी तबीयत में तेजी से गिरावट आई, जिसके कारण डॉक्टरों ने तत्काल उन्हें वेंटिलेटर पर रखने का फैसला किया।
सूत्रों के अनुसार, उनके पति की ब्रेन हेमरेज के कारण हुई मृत्यु के बाद से ही शारदा सिन्हा का स्वास्थ्य नाजुक बना हुआ है। अपने पति की मृत्यु के बाद से वे गहरे दुख में थीं, और अपने सोशल मीडिया पर भी अक्सर अपने पति के साथ जुड़ी भावनात्मक पोस्ट साझा करती थीं। पति के चले जाने का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है, और यह माना जा रहा है कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ा, जिससे उनकी शारीरिक स्थिति और अधिक बिगड़ने लगी।
शारदा सिन्हा की बिगड़ती स्थिति की खबर से उनके प्रशंसक और संगीत प्रेमी चिंतित हैं, और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। भारतीय लोक संगीत में उनका योगदान अद्वितीय है और वे बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में लोक गायिकी का एक प्रेरणादायक चेहरा मानी जाती हैं। उनके गीतों ने भारत के पारंपरिक संगीत को एक विशेष पहचान दिलाई है उनकी गायिकी में ग्रामीण जीवन, परंपराओं और लोक संस्कृतियों की छवि उभरती है।