पटना में यह शख्स झूमते-झूमते बनाता है लस्सी, लोग देखते-देखते लेते हैं स्वाद

उधव कृष्ण/पटना. एक कहावत है ‘तार से गिरे तो खजूर पर अटके’. हालांकि, अक्सर लोग इस कहावत को नकारात्मक रूप में ही इस्तेमाल करते हैं. पर, अगर इस कहावत के सकारात्मक पहलू पर गौर किया जाए तो पाएंगे कि इसमें खजूर पर अटकने वाले के हिस्से में तार के बदले मीठे खजूर भी आ ही जाते हैं, जो सचमुच एक अच्छी बात है. असल में इस खबर में हम जिस डांसिंग लस्सी मैन गणेश की चर्चा कर रहे हैं, उनपर यह कहावत एकदम फिट बैठती है.

बनारस के रहने वाले हैं डांसिंग लस्सी मैन
ठेले पर ‘गणेश शाही लस्सी’ के नाम से अपनी दुकान चलाने वाले गणेश बताते हैं कि वह मूल रूप से बनारस के रहने वाले हैं. पर अब 20- 22 सालों से पटना में ही रह रहे हैं, तो यहीं का खाते हैं और यहीं के गुण भी गाते हैं. बताते हैं कि बनारस में ही इनकी पैदाइश हुई थी. कभी समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वाले गणेश की पुश्तैनी जमीन और मकान भी बनारस में हुआ करते थे, पर किसी कारणवश इनकी पुरखों की जमीन और मकान बिक गए. इसी क्रम में इनका पटना आना हुआ. तब से ये पटना के ही होकर रह गए. पटना शहरवासियों से मिले प्यार और सम्मान ने बाकी सभी चीजों की भरपाई कर ही दी. तो कुछ इस तरह ‘तार से गिरकर खजूर पर अटकने वाली’ कहावत गणेश पर सकारात्मक रूप से लागू हुई.

रोज 40 से 50 किलो दही की बेच लेते हैं लस्सी
30 रुपये गिलास के हिसाब से यहां शुद्ध दही और मावे वाली लस्सी मिलती है. गणेश की मानें तो रफ्तार से दुकान चलने और न चलने पर ही ज्यादा या कम बिक्री निर्भर करती है. हालांकि, औसतन अच्छे बिक्री वाले एक दिन में गणेश 40 से 50 किलो दही की लस्सी तो बेच ही लेते हैं. गणेश बताते हैं कि तकरीबन 16-17 सालों से वह यहां दुकान लगा रहे हैं. जबकि, इनके अपने बड़े भाई की लस्सी की दुकान बाजार समिति में है. गणेश की दुकान पर लस्सी पीने देर रात तक लोग पहुंचते हैं. हालांकि, कई लोग तो पुराने बॉलीवुड रेट्रो गीत पर झूमते हुए गणेश के लटके-झटके देखने के बहाने भी दुकान पर पहुंच कर लस्सी पी जाते हैं.

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