गंगा में डूबते का सहारा बन रहे राजकमल केवट…अब तक बचा चुके हैं 300 से अधिक जान

अभिषेक माथुर/हापुड़. तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. स्नान के दौरान कई श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं, जो गंगा की लहरों में फंस जाते हैं और तेज बहाव के कारण डूबने लगते हैं. ऐसे में उन लोगों के लिए राजकमल केवट दूत बनकर सामने आते हैं. राजकमल केवट गंगा की लहरों में फंसे हुए लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं.

राजकमल बताते हैं कि अब तक वह करीब 300 से अधिक श्रद्धालुओं की जान गंगा में डूबने से बचा चुके हैं. राजकमल ने पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद लोगों की जान बचाने में अपनी आधी उमर गुजार दी है और बीती जिंदगी भी वह इसी काम में समर्पित करना चाहते हैं. राजकमल केवट ने व्यापार और नौकरी का त्याग कर लोगों की जान बचाने का निर्णय आखिर क्यों लिया, अगर आप भी उनकी यह कहानी जानेंगे, तो राजकमल केवट की बिना प्रशंसा किये नहीं रहेंगे.

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डूबते श्रद्धालुओं का बन रहे सहारा

गढ़मुक्तेश्वर के ब्रजघाट पर ही रहने वाले राजकमल केवट बताते हैं कि बात सन् 1988 की है, जब वह इंटरमीडिएट के छात्र थे. सावन का महीना चल रहा था और कांवड़ लेने के लिए 5000 हजार कांवड़िए रामपुर जिले से आए थे. इसी दौरान गंगा में स्नान करते समय लक्ष्मण नाम के एक कांवड़िए की गंगा में डूबकर मौत हो गई थी. उसकी बड़ी वजह थी कि जब कांवड़िया गंगा के जल में डूब रहा था, तब उसे बचाने के लिए कोई भी खास प्रयास नहीं हुए थे.

300 से अधिक लोगों की बचा चुके हैं जान

कांवड़िया लक्ष्मण की मौत के बाद 5000 हजार कांवड़िए बिना जल लिए वापस लौट गये. जब यह पूरा वाकया राजकमल केवट ने देखा, तो उन्होंने तभी निर्णय ले लिया कि वह अब अपना पूरा जीवन गंगा में स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में लगा देंगे और पूरा प्रयास करेंगे कि उनके रहते कोई भी गंगा में डूब न पाए. यही वजह है कि 1988 से लेकर अब तक वह गंगा में डूबते श्रद्धालुओं का सहारा बन रहे हैं. करीब 300 से अधिक श्रद्धालुओं की जान बचा चुके हैं.

राजकमल केवट को किया जाएगा सम्मानित

राजकमल केवट बताते हैं कि जिस दिन वह किसी डूबते हुए श्रद्धालु की जान बचाते हैं उस दिन उन्हें लगता है कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत सही निर्णय लिया है. रही बात परिवार के पालन-पोषण की, तो वह नौकायन का संचालन करते हैं और इसी काम में उनका साथ उनके चार बच्चे भी देते हैं.

राजकमल केवट ने बताया कि अब उनको ही देखकर उनके बच्चे भी गंगा की सेवा में जुट गये हैं. डूबते हुए लोगों का वह भी धीरे-धीरे सहारा बन रहे हैं.आपको बता दें कि राजकमल केवट की गंगा में डूबते हुए श्रद्धालुओं को बचाने की बहादुरी और चीते जैसी फुर्ती को देखकर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें सम्मानित करने का निर्णय भी लिया गया है. 15 अगस्त को राजकमल केवट को जिला मुख्यालय पर सम्मानित किया जाएगा.

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