पिताजी ने शारदा सिन्हा की प्रतिभा को उनके बचपन मे ही परख चुके थे: डॉ पद्मनाभ शर्मा

न्यूज डेस्क सुपौल:

स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी अब इस दुनियां में नहीं रही। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस लिया। शारदा सिन्हा के निधन से पूरा देश स्तब्ध है। लोगों ने कहा कि यह एक अपूरणीय क्षति है। जिसे निकट भविष्य में पूरी नहीं की जा सकती।

इधर सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड के हुलास स्थित उनके पैतृक गांव में शारदा जी के निधन के बाद सन्नाटा पसर गया है। शारदा सिन्हा के भाई और भाभी ने कहा कि उनके लिए इस दुख के क्षण को शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।

शारदा सिन्हा का पैतृक घर

शारदा सिन्हा के भाई डॉ पद्मनाभ शर्मा ने कहा कि शारदा सिन्हा जी के निधन से जो दुख हुआ है उसे वर्णन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पिछले मार्च में शारदा जी घर मे एक शादी समारोह में एक दिन के लिए आई हुई थी और कहा था कि कुछ दिन बाद आते हैं तो दो तीन दिन रुकेंगे। लेकिन शायद यह भगवान को मंजूर नहीं था। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा जी की प्रारंभिक शिक्षा हुलास में ही हुआ था। बचपन मे पिताजी उसे साइकिल से स्कूल भेजा करते थे। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि पिताजी एक शिक्षाविद रहे थे लिहाजा शारदा जी की प्रतिभा को उन्होंने बचपन मे ही भांप लिया था। और संगीत के प्रति शारदा जी की अभिरुचि को लेकर दूर दूर से शिक्षक को मंगा कर शारदा जी को संगीत सिखाया जाता था। पद्मनाभ शर्मा ने कहा कि रक्षा बंधन उनके लिए विशेष रहता था। कहा कि एक भी वर्ष ऐसा नहीं रहा जब शारदा सिन्हा जी ने भाइयों के लिए राखी नहीं भेजा।

इस मौके पर मौजूद पद्मनाभ शर्मा की पत्नी और शारदा सिन्हा जी की भाभी सुमन शर्मा ने कहा कि शारदा सिन्हा जी की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार वहीं पर किया जाय जहां उनके पति का अंतिम संस्कार हुआ है। लिहाजा उनके पार्थिव शरीर को पटना लाया जा रहा है जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पद्मनाभ शर्मा और उनकी पत्नी सहित अन्य लोग पटना के लिए रवाना हो गए हैं।

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