प्यार, संघर्ष और समाज: सुपौल में प्रेमी जोड़े की अनोखी शादी

रिपोर्ट: अमरेश कुमार|सुपौल

प्यार कभी किसी बंधन का मोहताज नहीं होता, लेकिन जब परिवार और समाज का विरोध सामने आता है, तो यह प्रेमी जोड़ों के लिए एक कठिन परीक्षा बन जाता है। बिहार के सुपौल जिले के नगर पंचायत वीरपुर इलाके में ऐसी ही एक प्रेम कहानी ने संघर्ष से गुजरकर आखिरकार शादी का सुखद रूप ले लिया। यह कहानी है सीता और आदित्य की, जिनका दो साल पुराना प्रेम समाज के हस्तक्षेप और संघर्ष के बाद आखिरकार विवाह के पवित्र बंधन में बंध गया।

दो साल से चल रहा था छुपा हुआ प्यार

सीता और आदित्य एक-दूसरे से गहरा प्रेम करते थे। दोनों का रिश्ता लगभग दो वर्षों से गुप्त रूप से चल रहा था, लेकिन समाज और परिवार की बंदिशों के कारण वे इसे सार्वजनिक नहीं कर पा रहे थे। उनका प्रेम इतना गहरा था कि वे एक-दूसरे से जीने-मरने की कसमें भी खा चुके थे।

लेकिन जब इस रिश्ते की भनक परिवार वालों को लगी, तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया। वे इस शादी के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं थे। परिवार के इस सख्त रवैये के बावजूद, सीता और आदित्य ने गुप्त रूप से कोर्ट में शादी कर ली। उन्हें लगा कि कानूनी शादी के बाद शायद परिवार को उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। जब परिवार को इस शादी की जानकारी मिली, तो उन्होंने इसे मानने से पूरी तरह इनकार कर दिया और दोनों पर काफी दबाव बनाया।

जब समाज ने उठाया मामला, फिर भी परिवार नहीं माना

इस विवाद की खबर जब स्थानीय समाज के लोगों तक पहुँची, तो उन्होंने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पहल की। समाज के बुजुर्गों और प्रभावशाली लोगों ने दोनों परिवारों को समझाने का प्रयास किया। उनका मानना था कि यदि दोनों प्रेमी एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं और पहले ही कानूनी रूप से शादी कर चुके हैं, तो परिवारों को भी इसे स्वीकार करना चाहिए।

लेकिन जब समाज के समझाने के बावजूद परिवार के लोग नहीं माने, तो मामला भीमनगर थाने तक पहुँच गया। पुलिस और समाज के वरिष्ठ लोगों ने मिलकर पूरे दिन समझाने-बुझाने की कोशिश की। लंबी बातचीत और समाज के लगातार प्रयासों के बाद, दोनों परिवारों ने इस रिश्ते को स्वीकार करने का फैसला किया।

रात में मंदिर में कराई गई शादी

जब परिवार शादी के लिए तैयार हो गए, तो समाज के लोगों ने भी इस मौके को खास बनाने का फैसला किया। देर रात, भीमनगर वार्ड नंबर 09 में स्थित संकट मोचन मंदिर में पूरी रस्मों-रिवाज के साथ शादी संपन्न कराई गई। मंदिर में मौजूद परिवार के लोग, समाज के बुजुर्ग और स्थानीय निवासी इस अनोखी शादी के साक्षी बने।

शादी के दौरान पूरे हिंदू रीति-रिवाजों का पालन किया गया। मंत्रोच्चार के बीच वरमाला हुई, सात फेरे लिए गए और दोनों एक-दूसरे के जीवनसाथी बन गए। समाज के लोग इस विवाह के साक्षी बने और वर-वधू को ढेरों आशीर्वाद दिया।

मिठाई खिलाकर मनाई खुशी, प्रेम की जीत हुई

शादी के बाद, सीता और आदित्य ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की। यह एक ऐसा पल था, जिसमें प्यार, संघर्ष और समाज की भूमिका सबकुछ समाहित था। जहाँ एक ओर परिवारों को बच्चों की खुशी समझ में आई, वहीं समाज की सक्रिय भूमिका ने इस प्रेम कहानी को एक सुखद अंत तक पहुँचाया।

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