सुपौल: त्रिवेणीगंज अस्पताल में सर्पदंश पीड़िता का ‘झाड़फूंक’ से इलाज, डॉक्टर नदारद; स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

Report: Amresh kumar|Supaul

सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में सोमवार रात स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया। छातापुर थाना क्षेत्र के नारहैया निवासी रविन्द्र सरदार की 18 वर्षीय पुत्री आरती कुमारी को घर के दरवाजे के पास सांप ने बाएं पैर में काट लिया। परिजन घबराकर उसे तुरंत अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर वहां मौजूद नहीं थे।

डॉक्टर की अनुपस्थिति में, परिजनों ने अपने रिश्ते की एक महिला तांत्रिक को अस्पताल बुला लिया। हैरान करने वाली बात यह रही कि तांत्रिक ने इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर के अंदर ही झाड़फूंक करना शुरू कर दिया, और इस दौरान अस्पताल प्रशासन या कर्मचारियों ने रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।

कुछ देर बाद जीएनएम नर्स नीलम कुमारी मौके पर पहुंचीं और पीड़िता का उपचार शुरू किया। नीलम कुमारी का कहना था कि वे अभी-अभी ड्यूटी पर आई हैं, उन्हें यह भी जानकारी नहीं थी कि किस डॉक्टर की ड्यूटी है।

मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया और तांत्रिक को अस्पताल से बाहर कर दिया गया। इसके बाद मरीज का चिकित्सकीय इलाज शुरू कराया गया।

इस घटना ने सरकारी अस्पताल की कार्यप्रणाली और लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और सरकारी योजनाओं के बावजूद, प्राथमिक स्तर पर डॉक्टरों की अनुपस्थिति और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले ऐसे मामलों से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था की साख पर बट्टा लग रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय पर डॉक्टर मौजूद रहते, तो मरीज को झाड़फूंक जैसी गैर-वैज्ञानिक प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। अब सवाल उठता है कि इस तरह की घटनाओं की जिम्मेदारी किसकी है और क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी। लोगों की मांग है कि मामले की जांच कर दोषी कर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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