Report: A.K Choudhari
सुपौल जिले के राघोपुर प्रखंड स्थित सिमराही बाजार इन दिनों भक्ति और आस्था के रंग में रंगा हुआ है। शांतिनगर वार्ड 8 में एफसीआई गोदाम के समीप आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महायज्ञ अत्यंत उत्साह और श्रद्धा के वातावरण के साथ चल रहा है। कथा का वाचन कर रहे परम पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने कथा के तीसरे दिन बुधवार को भगवान शिव-पार्वती विवाह और भगवान श्रीराम जन्म के अद्भुत प्रसंगों का रसपूर्ण वर्णन किया।

शिव-विवाह प्रसंग पर उमड़ा भाव-सागर
कथा के प्रथम सत्र में पूज्य महाराज जी ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा का गूढ़ भावार्थ प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव का जीवन त्याग, तपस्या और वैराग्य का प्रतीक है, वहीं पार्वती प्रेम, समर्पण और भक्ति की मूर्ति हैं। जब दोनों का मिलन हुआ, तो यह संसार के लिए गृहस्थ जीवन की पूर्णता का संदेश था। महाराज जी ने हास्य और व्यंग्य के बीच गहराई से कहा, “देखिए, स्वयं महादेव भी अकेले नहीं रहे। इसलिए गृहस्थ जीवन से भागने की नहीं, उसे शिव-पार्वती की तरह पवित्र बनाने की आवश्यकता है।” इस पर उपस्थित भक्तगण जोरदार तालियों से गूंज उठे।

राम जन्म पर गूंजा “जय श्रीराम” का जयघोष
कथा के उत्तरार्ध में जैसे ही पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म प्रसंग का वर्णन आरंभ किया, पूरा पंडाल भाव-विह्वल हो उठा। महाराज जी ने कहा कि अयोध्या की गलियों में जैसे ही प्रभु राम का जन्म हुआ, वैसे ही आज सिमराही का यह पावन स्थल भी अयोध्या बन गया है। प्रसंग के दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप, शंखनाद और “जय श्रीराम” के उद्घोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। भक्तों ने भावविभोर होकर नृत्य किया और अपने आराध्य के जन्मोत्सव में तालियों और जयघोष के साथ शामिल हुए।

भक्तिमय वातावरण और श्रद्धालुओं का सैलाब
कथा स्थल पर प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। दूर-दूर श्रद्धालु पूज्य महाराज जी के प्रवचन को सुनने पहुंच रहे है। प्रत्येक दिन कथा के समापन पर भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है। पूरे सिमराही बाजार का माहौल राममय बन गया है।
आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि कथा का उद्देश्य समाज में धर्म, प्रेम और एकता का संदेश फैलाना है। आगामी दिनों में भरत मिलाप, लंकाकांड और राम राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों का आयोजन किया जाएगा।

सिमराही बाजार में चल रही यह श्रीराम कथा न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का स्रोत बन रही है, बल्कि पूरे क्षेत्र को एक अद्भुत भक्ति उत्सव में बदल चुकी है।
मौके पर गोविंद पंसारी, नीरज पंसारी, विनय अग्रवाल, सुनील पंसारी, बसंत पंसारी, राजीव चौधरी, सुशील सोमानी, सोनू पंसारी, कृष्णा सिंह, प्रह्लाद सिंह, भागवत मेहता समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।







