न्यूज़ डेस्क सुपौल: सुपौल जिले के वीरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत इंडो-नेपाल सीमा पर अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश करते हुए पकड़ी गई उज्बेकिस्तान की एक महिला से जुड़े मामले में गुरूवार को सुपौल जिला कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम अविनाश कुमार की कोर्ट ने एक आरोपी युवक को विदेशी महिला को झांसे लेकर अनाधिकृत रूप से भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने का दोषी पाया। जिसके बाद कोर्ट ने भादवि की धारा 370 व 120 बी के तहत 7 वर्ष का सश्रम कारावास और 25 हजार रूपए का अर्थदंड सुनाया है। जुर्माना की राशि नही देने पर दोषी युवक को एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही घटना को लेकर दो-दो प्राथमिकी दर्ज करने के लिए वीरपुर के तत्कालीन एसडीपीओ, वीरपुर थानाध्यक्ष एवं केस के अनुसंधानकर्ता को 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड सुनाया है।
वहीं, बताया जा रहा है कि उज्बेकिस्तान निवासी महिला ऐनापेटा पेंको बीते 28 मार्च 2021 को 90 दिनों के टूरिस्ट वीजा पर नेपाल आई थी, जो वीजा 5 जून 2021 को समाप्त हाे रहा था। इसी बीच अररिया जिले के घूरणा थाना क्षेत्र अंतर्गत महेशपट्टी वार्ड 10 निवासी कृष्ण कुमार से महिला को संपर्क हुआ। उज्बेकिस्तानी महिला को कृष्ण कुमार ने झांसे में लिया और 29 मार्च 2021 को अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश करते हुए उज्बेकिस्तानी महिला सहित पकड़ा गया। एसएसबी 56वीं बटालियन के तत्कालीन कंपनी डी के कमांडर जॉन लेथाॅन के आवेदन पर बीते 30 मार्च को वीरपुर थाने में उज्बेकिस्तानी महिला को पीड़ित एवं कृष्ण कुमार को मानव तस्करी का आरोपी बनाते हुए कांंड संख्या- 104/21 किया गया। लेकिन इसके बाद एसआई अमरनाथ कुमार के आवेदन पर पुन: 6 अप्रैल 2021 को उज्बेकिस्तानी महिला को ही अवैध रूप से भारतीय सीमा में घुसपैठ का आरोपी बनाते हुए कांड संख्या- 107/21 किया गया। हालांकि ट्रायल के दाैरान कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में कांड संख्या 107/21 को खारिज करते हुए आरोपी उज्बेकिस्तानी महिला को बरी कर दिया।
कोर्ट ने तीन पुलिस पदाधिकारियों को लगाया जुर्माना
बहराहाल, जब मामला कोर्ट पहुंचा तो पुलिस को फजीहत झेलनी पड़ी और एडीजे सप्तम की कोर्ट ने एक ही मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने को लेकर वीरपुर के तत्कालीन एसडीपीओ सहित तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेश कुमार एवं केस के अनुसंधानकर्ता एसआई अमरनाथ कुमार को 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तीनों पुलिस अधिकारियों का कृत्य माफी योग्य नहीं है। लिहाजा तीनों को अपने वेतन से जुर्माना राशि का भुगतान करना होगा। जुर्माने की यह राशि 10 दिनों के अंदर उज्बेकिस्तान के दूतावास के माध्यम से पीड़ित महिला को भुगतान सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने मामले में बिहार के डीजीपी को उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने को कहा है। जिसे एक ही मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने की वजह सहित तीनों पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच करने को कहा गया है। इसको लेेकर अपर लोक अभियोजक रामजी प्रसाद ने बताया कि केस के ट्रायल के दौरान कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 8 गवाह प्रस्तुत किए गए। वहीं बचाव पक्ष की ओर अधिवक्ता बिनोदकांत झा एवं शरद कुमार ने बहस में हिस्सा लिया।