



न्यूज डेस्क पटना:
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, विपक्षी INDIA गठबंधन (महागठबंधन) के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर सरगर्मी तेज होती जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले इस गठबंधन में शामिल दलों की बढ़ती राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और सीमित संसाधनों के बीच संतुलन साधना अब गठबंधन नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
अब तक महागठबंधन की पांच प्रमुख बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें सीट बंटवारे पर प्रारंभिक स्तर की बातचीत की गई है। गठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हाल की एक बैठक के बाद बताया कि सभी सहयोगी दलों ने अपनी-अपनी पसंद की सीटों की सूची साझा कर दी है। तेजस्वी ने भरोसा जताया कि आपसी सहमति से यह मामला जल्द सुलझा लिया जाएगा।
मुकेश सहनी का बड़ा दावा, 60 सीटों की मांग और उपमुख्यमंत्री पद की इच्छा
हालांकि, गठबंधन के भीतर से आ रही आवाजें किसी सहज समाधान की उम्मीद नहीं जगातीं। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने लिखा, “विकासशील इंसान पार्टी 2025 में 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। शेष सीटों पर हमारे गठबंधन सहयोगी चुनाव लड़ेंगे।”
यही नहीं, सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद की भी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि अगर एक मल्लाह का बेटा उपमुख्यमंत्री बनता है, तो यह पूरे समाज के लिए गौरव की बात होगी।
यहां उल्लेखनीय है कि इस समय VIP के पास बिहार विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। उनके चारों विधायक पहले ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में उनकी सीट और पद को लेकर की गई यह मांग गठबंधन के भीतर असंतुलन पैदा कर सकती है।
RJD की स्थिति सबसे मजबूत, सीटों की संख्या घटाने के मूड में नहीं
महागठबंधन की सबसे बड़ी और प्रभावशाली घटक दल RJD की स्थिति अन्य दलों की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है। 2020 के विधानसभा चुनाव में RJD ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भी पार्टी उसी संख्या को बरकरार रखने या उससे अधिक सीटों पर दावा करने की तैयारी में है।
कांग्रेस, वाम दलों की भी बढ़ी मांग
कांग्रेस ने 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी लगभग 50 सीटों की दावेदारी कर रही है। वहीं, वामपंथी दल भी पीछे नहीं हैं। CPI ने तेजस्वी यादव को 24 सीटों की सूची सौंपी है जबकि CPI (ML) इस बार 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। 2020 में CPI (ML) को 19 सीटें मिली थीं, जिनमें से उसने 12 पर जीत हासिल की थी।
गठबंधन में असंतुलन और भीतरघात की आशंका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सीटों के बंटवारे को लेकर जल्द सहमति नहीं बनी, तो गठबंधन के भीतर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कई छोटे दल ऐसे क्षेत्रों की मांग कर रहे हैं जहां उनका जनाधार नगण्य है। ऐसी परिस्थिति में स्थानीय स्तर पर भीतरघात और असंतोष की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
तेजस्वी यादव के लिए अग्निपरीक्षा
इस पूरे परिदृश्य में तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर एक बार फिर परीक्षा की घड़ी है। उन्हें न केवल अपनी पार्टी RJD की प्रमुख भूमिका को बरकरार रखना है, बल्कि सभी सहयोगी दलों की संतुलनपूर्ण भागीदारी भी सुनिश्चित करनी है। यदि वे गठबंधन की एकजुटता बनाए रखते हुए चुनावी रणनीति को धार दे पाते हैं, तो यह उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में स्थापित कर सकता है।
फिलहाल, सभी निगाहें महागठबंधन की अगली बैठक पर टिकी हैं, जहां सीट बंटवारे के फार्मूले को अंतिम रूप देने की कोशिश की जाएगी। लेकिन यह प्रक्रिया जितनी लंबी खिंचेगी, उतना ही गठबंधन की आंतरिक एकता पर असर पड़ने की आशंका रहेगी।