लालू-नीतीश- मोदी पर पीके का तंज: नेताओं का चेहरा नहीं, इस बार बच्चों का भविष्य देखकर करें वोट

News Desh Katihar:

जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर अपनी बिहार बदलाव यात्रा के तहत गुरुवार को कटिहार पहुँचे। बरारी प्रखंड स्थित सूजापुर विद्यालय मैदान में आयोजित बिहार बदलाव जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने जनता से सीधा संवाद किया और आने वाले समय के लिए कई बड़े वादे किए।

प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी बिहार बदलाव यात्रा को जो समर्थन मिल रहा है, वह दरअसल बिहार की जनता की पिछले 30 वर्षों की छटपटाहट का परिणाम है। उन्होंने कहा – “बिहार के लोग 30 साल से लालू के डर से नीतीश-भाजपा और भाजपा के डर से लालू को वोट दे रहे हैं। लेकिन इस बार जनता अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के मुद्दे पर वोट करना चाहती है।”

पीके ने ऐलान किया कि इस साल नवंबर से बिहार में नई व्यवस्था लागू होगी। उन्होंने दावा किया कि इससे बिहार में गरीबी और पलायन दोनों पर रोक लगेगी। कटिहार की जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छठ के बाद से यहाँ के युवाओं को मजदूरी करने के लिए घर-परिवार छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि बिहार के करीब 50 लाख युवाओं को यहीं 10 से 12 हजार रुपये मासिक की मजदूरी वाला रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा दिसंबर 2025 से 60 वर्ष से अधिक उम्र के हर पुरुष और महिला को 2000 रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी।

शिक्षा व्यवस्था पर बोलते हुए पीके ने कहा कि जब तक सरकारी विद्यालयों में सुधार नहीं होगा, तब तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों की निजी स्कूल की फीस सरकार भरेगी। उनका कहना था कि गरीब का बच्चा भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ेगा और यह जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

जनसभा में उन्होंने जनता से अपील की – “इस बार हमें और हमारे बच्चों को लूटने वाले नेताओं को वोट न दें। चाहे लालू हों, नीतीश हों या मोदी हों, इस बार नेताओं का चेहरा देखकर नहीं, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर वोट दें।”

उन्होंने लालू यादव परिवार में चल रही खींचतान पर तंज कसते हुए कहा – “लालू यादव के बच्चों में झगड़ा हो या दोस्ती हो, इससे बिहार के लोगों को कोई मतलब नहीं है। लोगों को अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार चाहिए, फैक्ट्री-इंडस्ट्री चाहिए और सीमांचल को बाढ़ की समस्या से निजात चाहिए।”

प्रशांत किशोर ने कहा कि इस बार का दिवाली और छठ बिहार की बदहाली का आखिरी पर्व होगा। इसके बाद बिहार में जनता का राज और बच्चों के भविष्य का नया रास्ता खुलेगा।

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