सुपौल: सार्वजनिक दुर्गा मंदिर गणपतगंज में पूरी होती है सभी मुरादें, दूर दराज से पहुंचते है भक्त, नवरात्र के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की गई पूजा

न्यूज डेस्क सुपौल: जिले के राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के प्राचीनतम मंदिरों में से एक गणपतगंज बाजार स्थित सार्वजानिक दुर्गा मंदिर भक्तो के हर मनोकामना को पूर्ण करती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां के दरबार में आया है, कभी खाली हाथ नहीं लौटा। गणपतगंज स्थित इस सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के अतिप्राचीन होने के कारण इसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है। इसके कारण यहां आसपास के क्षेत्र सहित दूर दराज के भक्त पहुंचकर अपनी मन्नतें पूरी करते हैं। बताया जाता है कि यहां सामान्य दिनों में भी प्रतिदिन भक्तों की खासी भीड़ लगी रहती है। खासकर दशहरा के समय यहां आस-पास के क्षेत्रों सहित अन्य जिले से भी हजारों भक्त अपनी मुराद लेकर मां के पास आते हैं, मां ने अपने भक्तों को निराश नहीं किया है। बताया जाता है कि कई बार भक्तो ने मैया के पांवों में छनकती घुंघरू तो कभी ढोल नगाड़े की आवाज भी सुनी है।

बता दें कि मंगलवार को नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई। वहीं मंदिर कमिटी के द्वारा मंदिरों को विभिन्न रंगीन बल्वों से सजाया गया है।

116 वर्ष पूर्व माता को लाया गया गणपतगंज

मंदिर पूजा समिति के वरिष्ठ सलाहकार समिति के सदस्य उद्योतचंद कोठारी उर्फ बाबला बाबू ने बताया कि लगभग 150 साल पहले इस मंदिर का शिलान्यास तत्कालीन हरावत राज के जमींदार गणपत सिंह एवं नरपत सिंह के द्वारा किया गया था। बताया कि पहले यह मंदिर देवीपुर पंचायत के कोरियापट्टी गांव में स्थित था। बाद में सड़क मार्ग की खस्ताहाल व्यवस्था एवं रियासत मुख्यालय से दूर होने की वजह से लगभग 116 वर्ष पूर्व मां दुर्गा को गणपतगंज लाकर स्थापित किया गया। तभी से ही यहां मां की महिमा अपरंपार रही है। बताया कि भक्तों के हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली मैया का चमत्कार भी अद्भुत है।

26 वर्षों से बंगाल के मूर्तिकार ही बनाते हैं मूर्तियां

मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि मूर्ति निर्माण का कार्य बंगाल से आये कारीगर प्रशांत पॉल व उनके सहयोगियों के द्वारा किया जाता है। खास बात यह है कि प्रशांत पॉल ही पिछले 26 वर्षों से यहां मूर्ति निर्माण करते आ रहे हैं, जबकि पंडित के रूप में सुखपुर निवासी आचार्य बैकुंठ नाथ झा है।

मंदिर कमेटी के सदस्य

कमिटी में अध्यक्ष चेतन शर्मा, राजेश मोहनका, सचिव संतोष शर्मा, सह सचिव बिनोद वर्मा, हरीश शर्राफ, कोषाध्यक्ष सौरभ कोठारी, मुरारीलाल शर्मा तो वहीं वरिष्ठ सलाहकार समिति में उद्योतचंद कोठारी उर्फ बाबला बाबू, बिनोद अग्रवाल, दीनानाथ अग्रवाल आदि शामिल है। कमेटी सदस्यों ने बताया कि यहां से कोई भी भक्त आजतक खाली हाथ नहीं लौटा है। मैया ने सबकी मनोकामना पूर्ण की है।

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