



न्यूज डेस्क सुपौल:
विज्ञान और चिकित्सा के आधुनिक युग में भी ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास की जकड़न गहरी बनी हुई है। इसका ताजा उदाहरण जिले के राघोपुर रेफरल अस्पताल में देखने को मिला, जहां सर्पदंश के शिकार एक बुजुर्ग मरीज पर इलाज के दौरान ही झाड़-फूंक की गई।
जानकारी के अनुसार, राघोपुर प्रखंड के हुलास वार्ड-9 निवासी 50 वर्षीय जगदीश सादा मंगलवार शाम करीब 4 बजे अपने खेत में कुदाल चला रहे थे। इसी दौरान एक जहरीले सांप ने उन्हें काट लिया। परिजन तत्काल उन्हें राघोपुर रेफरल अस्पताल लेकर पहुंचे। ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने मरीज की नाजुक हालत देखते हुए तुरंत इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू किया। चिकित्सकों ने अब तक 28 एंटीवेनम इंजेक्शन लगाकर मरीज की जान बचाई है।
ड्यूटी डॉक्टर के अनुसार, जब मरीज को लाया गया था, उस समय उसकी हालत गंभीर थी। त्वरित उपचार से अब मरीज की स्थिति स्थिर है। इसके बावजूद परिजनों ने डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ की सख्त मना करने के बाद भी अस्पताल परिसर में एक महिला झाड़-फूंक करने वाली को बुलाकर अंधविश्वास के तौर पर उसका इलाज करवाया।
अस्पताल प्रबंधन ने इस तरह की हरकत को गंभीर बताया है और कहा है कि इस तरह के अंधविश्वासी कृत्य न केवल मरीज के जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि चिकित्सा प्रक्रिया में भी बाधा डालते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्पदंश की स्थिति में झाड़-फूंक जैसी गैर-वैज्ञानिक प्रक्रियाएं जानलेवा हो सकती हैं, इसलिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि जब देश चांद और मंगल पर पहुंच चुका है, तब भी कई ग्रामीण इलाकों में लोग जीवन-मरण के मामलों में वैज्ञानिक उपचार के बजाय अंधविश्वास का सहारा क्यों ले रहे हैं।