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Radha Ashtami: शनिवार की रात बरसाना नगरी ने वह नजारा देखा, जो केवल आस्था और प्रेम की धरती ब्रज में ही संभव है। बृषभानु नंदनी श्रीराधा रानी के जन्मोत्सव पर संपूर्ण बरसाना भक्ति और उत्सव की अनुपम छटा से जगमगा उठा। श्रद्धा और उल्लास का ऐसा संगम बना कि मानो स्वयं ब्रह्मांड इस दिव्य क्षण का साक्षी हो गया हो।

शाम ढलते ही बरसाना की गलियां श्रद्धालुओं से भर उठीं। मृदंग, ढोल-मंजीरे और झांझ की धुनों के बीच “राधा नाम संकीर्तन” की गूंज ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। जगह-जगह भजन मंडलियां भक्तिरस में झूम रही थीं तो मंदिर मार्ग पर भंडारों में मीठे पकवान और प्याऊ श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर दिखाई दिए।
भव्य आतिशबाजी से आलोकित हुआ आकाश
जन्मोत्सव की मुख्य आकर्षण रही आतिशबाजी, जिसने रात के अंधकार को दीपावली-सा आलोकमय कर दिया। संत विनोद बाबा के सौजन्य से आयोजित करीब 40 लाख रुपये की भव्य आतिशबाजी लगातार भोर चार बजे तक चली। आसमान में खिले आतिशी फूल श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति का दीप जला रहे थे। हर विस्फोट के साथ “राधा रानी की जय” और “राधे-राधे” का उद्घोष गूंजता तो पूरा वातावरण भावविभोर हो उठता।
अष्टदल कमल पर जन्माभिषेक
जन्मोत्सव का सबसे पावन क्षण तब आया जब अष्टदल कमल पर श्रीराधा रानी का जन्माभिषेक संपन्न हुआ। उस क्षण भक्तों की आंखों से आंसुओं के रूप में भक्ति की धारा बह निकली। मानो स्वयं बरसाना का ब्रह्मांचल सूर्य सा प्रकाशमान हो उठा हो।
सुरक्षा और व्यवस्था में रही सजगता
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। पुलिस, प्रशासनिक अमला और मंदिर के सेवक पूरी तन्मयता से प्रबंधन में जुटे रहे। बरसाना-गोवर्धन मार्ग पर बसों की लंबी कतारें और अन्य मार्गों पर जाम की स्थिति भी भक्तों के उत्साह को कम नहीं कर सकी।
भक्ति और संस्कृति का अद्वितीय संगम
राधा रानी के जन्मोत्सव ने बरसाना को न केवल भक्ति और आस्था का केंद्र बनाया, बल्कि ब्रज की सांस्कृतिक धरोहर को और भी अधिक समृद्ध कर दिया। राधा को बेटी के रूप में मानने वाले ब्रजवासी जन्मोत्सव को उसी प्रेम और उल्लास से मनाते हैं जैसे घर में पुत्री का जन्मोत्सव मनाया जाता है। यही ब्रजवासियों का अपनी लाली के प्रति अगाध प्रेम है।







